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सम्यग्जामचन्द्रिका भावाटीका ]
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बहरि जो पूर्वं पर्याप्त स जीवनि का प्रमाण कहा था, तामै त्रियोगी जीवनि का परिमाण घटाएं, जो अवशेष परिमाण रहै; तितने द्वियोगी जीव जानने । झानक वचन, काय दोष ही योग पाइप है।
बहुरि संसारी जीवनि का जो परिमाण, तामै द्वियोगी पर त्रियोगी जीवनि का परिमाण घटाएं जो अवशेष परिमाण रहै, तितने जीव एक योगी जानने । इनि के एक काययोग ही पाइए है; असें प्रगट जानना । - अंतोमहत्तमेसा, चउमरणजोगा कमेण संखगुरणा ।
तज्जोगो सामण्णं, चउवचिजोगा तदो दु संखगुणा ॥२६२॥
अंतर्मुहूर्तमात्राः, चतुर्मनोयोगाः कमेण संख्यगुणाः ।
तद्योगः सामान्यं, चतुर्वचोयोगाः ततस्तु संख्यगुणाः ॥२६२॥ टीका ~ च्यारि प्रकार मनोयोग प्रत्येक अंतर्मुहूर्त प्रमाण स्थिति लीएं हैं । सथापि अनुक्रम तें संख्यात गुणे जानने। सोई कहिए हैं - सत्य मनोयोग का काल सक्तै थोरा है; सो भी अंतर्मुहूर्त प्रमाण है; ताकी संदृष्टि-एक अंतर्मुहूर्त । बहुरि यात संख्यातगुणा काल असत्य मनोयोग का है, ताकी संदृष्टि-च्यारि अंतर्मुहूर्त । इहां संख्यातं की सहनानी च्यारि जाननी । बहुरि याते संख्यात गुणा उभय मनोयोग का काल है। ताकी संदृष्टि - सोलह अंतर्मुहूर्त । बहुरि यात संख्यातगुणा अनुभय मनोयोग का काल है; ताको संदृष्टि-चौसठि अंतर्मुहूर्त । जैसे च्यारि मनोयोग का काल का जोड दीएं जो परिमारण हवा, सो सामान्य मनोयोग का काल है; तिहि की संदृष्टि - पिच्यासी अंतर्मुहूर्त । बहुरि सामान्य मनोयोग का काल से संख्यातगुणा च्यारि वचनयोग काल है । तथापि क्रम में संख्यातगुणा है: तो भी प्रत्येक अंतर्मुहूर्त मात्र ही है। तहां सामान्य मनोयोग का कालत संख्यातगुणा सत्य वचनयोग का काल है; ताकी संदृष्टि-चौगुणा पिच्यासी ( ४४८५ ) अंतर्मुहूर्त । बहुरि यात संख्यात गुणा असत्य वचनयोग का काल है - ताकी संदृष्टि सोलहगुणा पिच्यासी ( १६४८५ ) अंतर्मुहूर्त । बहुरि यातै संख्यातगुणा उभय वचनयोग का काल है - ताकी संदृष्टि-चौसठगुणा पिच्यासी (६४४५५ ) अंतर्मुहूर्त । बहुरि यात संख्यात गुणा अनुभय वचनयोग का काल है; ताकी दृष्टि-दोय सै छप्पन गुणा पिच्यासी ( २५६४८५ ) अंतर्मुहूर्त ।