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सूक्ष्भनिगोद १ | धादरघात ६ तेज अप्रतिष्ठित | सूक्ष्मनिमोद १७ वावर घात २२, अप्रतिष्टित | तेंद्री ५५ चौइंद्री । तेंद्री ६० चौइंद्री
| दात १५ तेज १६ तेज २३ अ २४ । प्रत्येक ५०वेंद्री 1 ५६ केंद्री ५७ । ६१ केंद्री ६२ अप ४ पृथ्वी ५६ निगोय १० | १३ तेंद्री १४ | अप २० पृथ्वी | पृथ्वी २५ निगोद | ५१ तेंद्री ५२ . अप्रतिष्ठित ५८ अप्रतिष्ठित प्रत्येक इति वंच अपर्या प्रतिष्ठित प्रत्येक | चौद्री १५ पंचेंद्री | २१ इनि पंच | २६ प्रतिष्ठित | त्रौद्री ५३ पंचेंद्री पंचेंद्री ५६ इनि
| चाँदी ५३ पंचेंद्री पंचद्री ५६ इनि ६३ पंद्री ६४, हनि को जघन्य ११ इन छह १६ इनि' पाँच पप्तिान की प्रत्येक २७ इनि १५४ इनि पाँच | पांच अप्रर्याप्तनि इनि पांघ पर्याअवमाना।
! अगर्याप्तनि की ! अपर्याप्तनि की।
नि का! अपर्याप्तनि की | जघन्य अवमा- | छहो प्रर्याप्तनि |पर्याप्तनि की की उत्कृष्ट अव-|प्तनि को उत्कृष्ट अघन्य वगा जघन्य अन्नगा-हना।
की जघन्य अव- जघन्य अक्ष्या-पाहना। । । हना।
पाहमा।
सुधमनियोट २८ । बादर वात ३३ पति २९ तेज ३० तेज ३४ अन ३५ अप ११ पृथ्वी पृथ्यी ३६ मिमोष ३२ इनि पांच ! ३७ प्रतिष्ठित अपप्तिमि की प्रत्येक ३८ इनि उत्कृष्ट प्रवगा- | छहो अपरतिनि
की उत्कृष्ट अवनाहना।
सूक्ष्मनियोद ३६ | वादर क.स ४४ धात ४० ते ४१ तेज ४५प ४६ अप् ४२ पृथ्वी पृथ्वी ४७ निगोद ४३ इनि पंचपर्या-४८ मिष्ठित पतनि की उत्कृष्ट
प्रत्येक ४६ इनि अवगाहना।
यही पाप्तिनि की उत्कृष्ट अव