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________________ सर्व विशुद्धज्ञानाधिकार वेदतो कम्मफलं अप्पाणं कुणइ जो दु कम्मफलं । सो तं पुणोवि बंधइ वीयं दुक्खस्स अट्ठविहं ॥३८७॥ वेदंतो कम्मफलं मए कयं मुणइ जो दु कम्मफलं । सो तं पुणोवि बंधइ वीयं दुक्खस्स अट्ठविहं ॥३८॥ वेदंतो कम्मफलं सुहिदो दुहिदो य हवदि जो चेदा । सो तं पुणावि बंधई वीयं दुक्खस्स अट्टविहं ॥३८६॥ कर्मफल वेदता जो, उसको निज रूप है बना लेता। बह फिर भि बांध लेता, दुखबीज हि अधः मौको ॥३८७।। कर्मफल वेदता जो, यह मैंने किया मानत! ऐसे । यह फिर भि बांध लेता, दुखबीज हि प्रष्ट कर्मोको ॥३८८॥ वेदता कर्मफल जो, हो जाता है सुखी दुखी प्रात्मा । वह फिर भि बांध लेता, दुखबीज हि प्रष्ट कर्मोको ॥३६॥ वेदयमानः कर्मफलमात्मानं करोति यस्तु कर्मफलं । स तत्पुनरपि बध्नाति बीजं दुःखस्याष्टविध ॥३५७।। वेदयमानः कर्मफलं मया कृतं जानाति यस्तु कर्मफलं । स तत्पुनरपि बध्नाति बीज दुःखस्याष्टविधं ॥३८॥ देदयमानः कर्मफलं सुखितो दुःखितः । भवति यः चेतायता । स तत्पुनरपि बध्नाति बीजं दुःखस्याष्टविध ।। ___ ज्ञानादन्यत्रेदमहमिति चेतनं अज्ञानचेतना । सा द्विधा कर्मचेतना कर्मफलचेतना च । तत्र ज्ञानादन्यत्रेदमहं करोमीति चेतनं कर्मचेतना । ज्ञानादन्यत्रेदं वेदयेऽहमिति चेतनं कर्मफल नामसंझ-दंत, दाम्मफल, अप्प, ज, दु, कम्मफल, त, त, पुणो, वि, वीय, दुक्ख, अट्ठविह, वेदत, ___ मात्र अन्तस्तत्वमें उपयुक्त होनेका पौरुष करना ॥ ३८३.३८४ ॥ ___ अब ज्ञानचेतना व अज्ञानचेतनाका फल कहते हैं- [कर्मफलं वेश्यमानः] कर्मके फल को अनुभवता हुप्रा [यः तु] जो प्रात्मा [कर्मफलं प्रात्मानं करोति] कर्मफलको निजरूप करता है [सः] बह [पुनरपि] फिर भी [दुःखस्य बीज] दुःख के बीज [अष्टविधं तत्] ज्ञानावरणादि पाठ प्रकारके कर्मको [बध्नाति] बांधता है। [यस्तु जो [कर्मफलं वेदयमानः] कर्मके फलका वेदन करता हुआ [कर्मफलं मया कृतं जानाति] उस कर्मफलको मैंने किया ऐसा जानता है [स पुनरपि] वह फिर भी [दुःखस्य बोज] दुःखके बीज [अष्टविध तत्] ज्ञानावरणादि पाठ प्रकारके कर्मको [बध्नाति] बांधता है । [यः चेतयिता] जो प्रात्मा [कर्मफलं देवयमानः] कर्मके फलको वेदता हुआ [सुखितः च दुःखितः] सुखी और दुःखो [भवति]
SR No.090405
Book TitleSamaysar
Original Sutra AuthorKundkundacharya
Author
PublisherBharat Varshiya Varni Jain Sahitya Prakashan Mandir
Publication Year1995
Total Pages723
LanguageHindi, Prakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size21 MB
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