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निर्जराधिकार ओ हुमण करेदि कसं कम्मफलेसु तह सव्वधम्मेसु । सो णिक्कंखो चेदा सम्मादिट्ठी मुणेयब्बो ॥२३०॥
जो नहिं करता वाञ्छा, कर्मफलों तया सर्व धर्मोमें ।
यह नि:कांक्ष पुरुष है, सम्यग्दृष्टो उसे जानो ॥२३०॥ यस्तु न करोति कांक्षा कर्मफलेषु तथा सर्वधर्मेषु । स निष्कांक्षश्चेतयिता सम्यग्दृष्टिमन्तव्यः ॥२३०॥
यतो हि सम्यग्दृष्टिः, टंकोत्कीर्णंकज्ञायकभावमयत्वेन सर्वेष्वपि कर्मफलेषु सर्वेषु वस्तुधर्मेषु घ कांक्षाभावान्निष्काक्षस्ततोऽस्य कांक्षाकृतो नास्ति बंधः किं तु निर्जरैव ।।२३०॥
नामसंज्ञ-ज, दु, ण, कंख, कम्मफल, तह, सबधम्म, त, णिक्कख, चेदा, सम्मादिडि, मुणेयव्व । धातुसंज्ञ-कर करणे, कंख वांछायां, मुण ज्ञाने । प्रातिपदिक यत्, तु, न, कांक्षा, कर्मफल, तथा, सर्वधर्म, तत्, निष्कांक्ष, चेतयितृ, सम्यग्दृष्टि, मन्तव्य । मूलधातु- डुकृत्र करणे, मन ज्ञाने दिवादि । पद विवरणजो यः-प्रथमा एक० । दुतु-अव्यय । ण न-अव्यय । करेदि करोति-वर्तमान लट् अन्य पुरुष एकवचन किया । कखं कांक्षां-द्वितीया एकवचन । कम्मफलेसु कर्मफलेषु-सप्तमी बहु० । तह तथा अव्यय । संवधम्मेसु सर्वधर्मेषु-सप्तमी बहु० । सो सः-प्रथमा एकः । णिक्कखो निष्कांक्ष:-प्रथमा एक० । चेदा चेतयिता-प्र० एक० । सम्मादिट्ठी सम्यग्दृष्टि:-प्रथमा एकः । मुणेयवो मन्तव्यः-प्रथमा एकवचन ।।२३०।।
तथ्यप्रकाश--१-सहजशुद्धात्मभावनाजन्य परम आनन्दमें तृप्त होनेके कारण सम्यग्दृष्टि कूछ भी इच्छा नहीं करता। २-सम्यग्दृष्टि इन्द्रियविषय सुखरूप कर्मफल में वाञ्छा नहीं करता । ३-सम्यग्दृष्टि समस्त बस्तुधर्मोमें वाञ्छा अनुराग नहीं करता । ४-सम्यग्दृष्टि विषयसुखके कारणभूत पुण्यरूप धर्ममें वाञ्छा नहीं करता। ५-सम्यग्दृष्टि इहलोक परलोककी माकांक्षा नहीं करता । ६-सम्यग्दृष्टि समस्त परसमय प्रणीत कुधर्मोमें वाञ्छा नहीं करता । ए-बिषयसुखवाञ्छाकृत बन्ध सम्यग्दृष्टिके नहीं है । ८-अनाकांक्ष सम्यग्दृष्टिके पूर्वबद्धकर्म की निर्जरा निश्चित है।
सिद्धान्त--१- एक ज्ञायकभावमयताके कारण ज्ञानीके न तो कांक्षा है और न कांक्षाकृत बन्ध है।
दृष्टि-१--प्रतिषेधक शुद्धनय (४६) ।
प्रयोग---प्रविकार सहजात्मतत्त्वकी भावनासे अनाकांक्ष होकर सहजज्ञानानंदके अनुभवसे तृप्त रहना ॥२३०॥
प्रब निर्विचिकितसा गुण कहते हैं- [यः चेतयिता] जो जीव [सर्वेषामेव] सभी [धर्माणां] वस्तुषोंमें [जुगुप्सां] ग्लानि [न करोति] नहीं करता [सः] वह जीव [खलु] निश्चयसे [निर्विचिकित्सः] विचिकित्सादोषरहित [सम्यग्दृष्टिः] सम्यग्दृष्टि है [ज्ञातव्यः]