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समयसार
माजीवत्वमापद्येत । मम तु एको ज्ञायक एव भावः यः स्व:, अस्यैवाहं स्वामी, ततो माभून्ममाजीवत्वं ज्ञातैवाहं भविष्यामि न परद्रव्यं परिगृह्णामि श्रयं च मे निश्चयः ।। २०८ ।। अहं - प्र० ए० 1 अजीवदं अजीवतां - द्वितीया ए० । तु-अव्यय | गच्छेज्ज गच्छेयं लिङ उत्तम पुरुष एक० । गादा ज्ञाता - प्र० ए० । एव-अव्यय । अहं प्रथमा एक० । जम्हा यस्मात् पंचमी एक० । तम्हा तस्मात्पंचमी एक. | ण न-अव्यय । परिग्गहो परिग्रहः- प्र० ए० । मज्झ मम षष्ठी एकवचन ॥२०८॥
सिद्धान्त - ( १ ) मैं अपने ही द्रव्य, क्षेत्र, काल, भावसे हूं । (२) मैं परद्रव्यके क्षेत्र, काल, भावसे नहीं हूं ।
दृष्टि - १ - स्वद्रव्यादिग्राहक द्रव्यार्थिकनय ( २८ ) । २ परद्रव्यादिग्राहक द्रव्याचिकनय ( २८ ) ।
प्रयोग में प्रचेतन नहीं हूं, अन्य द्रव्यरूप नहीं हूं, मैं ज्ञानमात्र हूं, अतः मैं मात्र शाता ही रहूँगा, मैं किसी भी परद्रव्यको ग्रहण न करूंगा ऐसा अपना दृढ़ निर्णय रखकर परद्रव्यके विकल्पसे भी हटकर अपनेमें ज्ञानमात्र रहकर परमविश्राम पानेका पौरुष करना
।। २०८ ॥
अब ज्ञानीका आत्मशौर्य बतलाते हैं - [ छतां वा ] छिद जावे [भिद्यतां वा ] अथवा भिद जावे [नीयतां वा ] अथवा कोई ले जावे [ अथवा ] अथवा [ विप्रलयं यातु ] नष्ट हो जावे [ यस्मात् तस्मात् ] चाहे जिस तरहसे [गच्छतु] चला जावे, [ तथापि ] तो भी [ खलु ] वास्तव में [परिग्रहः] परद्रव्य परिग्रह [ मम] मेरा [न] नहीं है ।
तात्पर्य- - समस्त परपदार्थ भिन्न सत्तावाले हैं, इस कारण परद्रव्यकी कुछ भी परिगति हो वह मेरा कुछ नहीं है ।
टीकार्थ -- परद्रव्य चाहे छिद जावे या भिद जावे या कोई ले जावे, या नाशको प्राप्त हो जावे, या जिस तिस प्रकार याने कैसे ही चला जावे तो भी मैं परद्रव्यको ग्रहण नहीं करता, क्योंकि परद्रव्य मेरा स्व नहीं है और न मैं परद्रव्यका स्वामी हूं, परद्रव्य हो परद्रव्य का स्व है, परद्रव्य ही परद्रव्यका स्वामी है, मैं हो मेरा स्व है, मैं ही मेरा स्वामी हूं ऐसा मैं जानता हूं । भावार्थ - प्रत्येक द्रव्य अपनी अपनी सत्ता में है, मैं भी मात्र प्रपने सत्त्वसे हूं तब मेरा मेरे सिवाय अन्य कुछ भी नहीं है ऐसा ज्ञानी जानता है, श्रतः ज्ञानीके समस्त परद्रव्यसे उपेक्षा है, इसी कारण ज्ञानीके परद्रव्य परिग्रह नहीं होता ।
अब इसी अर्थको इत्थं इत्यादेि कलश में कहते हैं— इस प्रकार सम्मान्य से समस्त परिग्रहको छोड़ कर स्व व परके अविवेक के कारणभूत अज्ञानको छोड़नेके लिये मन वाला :