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समयसार अर्थतदेव दर्शयति--
सेवंतोवि ण सेवइ असेवमाणोवि सेवगो कोई । पगरणचेट्ठा कस्सवि ण य पायरणोत्ति सो होई ॥१६॥
सेता हुआ न सेवे, कोइ नही सते भी सेवक है।
परजन कार्य निरत भी, प्राकरणिक भी नहीं होता ॥१७॥ सेवमानोऽपि न सेवते असेवमानोऽपि सेवकः कश्चित् । प्रकरणचेष्टा कस्यापि न च प्राकरण इति स भवति ।
यथा कश्चित् प्रकरणे व्याप्रियमाणोपि प्रकरणस्वामित्वाभावात् न प्राकरणिकः, अपरस्तु तत्राव्याप्रियमाणोऽपि तत्स्वामित्वात्प्राकरणिक: । तथा सम्यग्दृष्टि: पूर्वसश्चितकर्मोदयसंपन्नान विषयान् सेवमानोऽपि रागादिभावानामभावेन विषयसेवनफलस्वामित्वाभावादसेवक एव । मिथ्यादृष्टिस्तु विषयानसेवमानोऽपि रागादिभावानां सद्भावेन विषयसेवनफलस्वामित्या
नामसंज्ञः - सेवंत, चि, ण, असेवमाण, वि, सेवग, कोई, पगरणचेढा, क. वि, ण, य, पायरण, इत्ति, त । धातुसंज्ञ-सेव सेवायां, प.कर करणे, हो सत्तायां । प्रातिपदिक-सेबमान, अपि, असेवमान, अपि, सेवक, कश्चित्, प्रकरणचेष्टा, किम्, अपि, न, च, प्राकरण, इति, त । मूलधातु-सेव सेवायां, भू सत्तायां । पदविवरण- सेवंतो सेवमानः-प्रथमा एक० । वि अपि-अव्यय । ण न-अव्यय । सेवइ सेवते-वर्तमान लट् सेवता हुमा भी [सेवकः] सेवने वाला कहा जाता है [कस्यापि] जैसे किसी पुरुषके [प्रकरणचेष्टा अपि किसी कार्यके करनेकी चेष्टा तो है [घ सः] किन्तु वह [प्रापरणः] कार्य करने वाला स्वामी हो [इति न भवति] ऐसा नहीं है ।
टीकार्थ-जैसे कोई पुरुष किसी कार्यकी प्रकरणनि यामें व्याप्रियमाण होकर भी याने उस सम्बंधी सब क्रियानोंको करता हुआ भी उस कार्यका स्वामी नहीं है । किन्तु दूसरा कोई पुरुष उस प्रकरण में व्याप्रियमाण न होकर भी याने उस कार्य सम्बंधी क्रियाको नहीं करता हुप्रा भी उस कार्यका स्वामीपन होनेसे उस प्रकरणका करने वाला कहा जाता है । उसी तरह सम्यग्दृष्टि भी पूर्वसंचित कोंके उदयसे प्राप्त हुए इन्द्रियोंके विषयोंको सेवता हुआ भी रागा. दिक भावोंका अभाव होनेके कारणसे विषयसेवनके फलके स्वामीपन का प्रभाव होनेसे प्रसेवक ही है । किन्तु, मिथ्यादृष्टि विषयोंको नहीं सेवता हुना भी रागादिभावोंका सद्भाव होनेके कारण विषय सेबनेके फलका स्वामी. होनेसे विषयोंका सेवक ही है।
__ भावार्थ-जैसे कोई व्यापारी स्वयं कार्य न करके नोकरके द्वारा कारखानेका कार्य कराता है, तो वह स्वयं कार्य न करता हुआ भी स्वामित्वके कारण दूकान सम्बंधी हानि-लाभ का फ़ल हर्ष विषाद पाता है । किन्तु नौकर स्वामित्वबुद्धि प्रभावमें व्यापार करता हुमा भी