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पूर्व रंग मनु कथमयमप्रतिबुद्धो लक्ष्येत
अहमेदं एदमेहं अहमेदस्सेव होमि मम एदं। अरणं जं परदव्वं सच्चित्ताचित्तमिस्स वा ॥२०॥
आसि मम पुब्वमेदं एदस्स ग्रहंपि आसि पुब्वं हि । होहिदि पुणोवि मझ एयस्स अहंपि होस्सामि ॥२१॥ एयं तु यसंभूदं यादवियप्पं करेंदि संमूढो । भूदत्यं जाणंतो ण करेदि दुतं असंमूढो ॥२२॥ (त्रिकलम) ता में जो कुछ दिसता, सजीध निर्जीव मिश्र वा वस्तु । मैं यह यह मैं मैं हूं, इसका यह सब तथा मेरा ॥२०॥ यह पहले मेरा था, इसका मैं था भि पूर्व समयोंमें । मैं होऊंगा इसका यह सब होगा तथा मेरा ।।२१।। ऐसा असत्य प्रपना, करता मानन विकल्प यह मोही ।
किन्तु नहि भ्रान्ति करता, भूतात्मिज्ञ निर्मोही ॥२२॥ अहमेतदेतदहमहमेतस्यवास्मि मर्मतत् । अन्यद्यत्परद्रव्यं सन्निनाचित्तमिथं वा ॥२०॥ आसीन्मम पूर्वमेतद् एतस्याहमप्यासं पूर्व हि । भविष्यति पुनरपि मम एतस्याहमपि भविष्यामि ।।२१॥ एतत्त्वसद्भूतमात्मविकल्पं करोति संमूढः । भूतार्थं जानन करोति तमसंमूढः ॥२२॥
यथाग्निरिधनमस्तीधनमग्निरस्त्यग्नेरिधनमस्तीधनस्याग्निरस्त्यग्नेरिधनं पूर्वमासीदिधनस्याग्निः पूर्वमासीदग्नेरिधनं पुनर्भविष्यतींधनस्याग्निः पुनर्भविष्यतीतोंधन एवासद्भूताग्निविक
नामसंज्ञ---अम्ह, एत, अम्ह, अम्ह, एत, एव, अम्ह, एत, अग्ण, ज, परदब्ध, सच्चित्ताचितमिरस, वा, अम्ह, पुवं, एत, एत, अम्ह, पि, पुब्बं , हिपुणो, बि, अम्ह, एत, अम्ह, पि, एत, तु, असंभूद, आदवियप्प, संमूढ, भूदत्य, जाणंत, ण, दु, त, असं मूढ । धातुसंज्ञ---हो सत्तायां, हब प्राप्ती, अस सत्तायां, कर अग्निका विकल्प करता है वह झूठा है । इसीसे अप्रतिबुद्ध (अज्ञानी) पहचाना जा सकता है । उसी तरह (दान्तिमें देखिये) कोई परद्रध्यमें असत्यार्थ यात्मविकल्प करे कि मैं यह परद्रव्य हूं और यह परद्रव्य मैं हूं, मेरा यह परद्रव्य है, इस पर द्रव्यका मैं हूं, मेरा यह पहले था, इसका मैं पहले था, मेरा यह फिर होगा, इसका मैं फिर होऊँगा, ऐसे भूठे विकल्पसे अप्रतिबुद्ध (अज्ञानी) पहचाना जाता है । तथा अग्नि ईंधन नहीं है, ईधन अग्नि नहीं है, अग्नि अग्नि ही है, ईंधन इंधन ही है, अग्निका ईंधन नहीं है, ईंधनकी अग्नि नहीं है, अग्निको पग्नि है, ईंधनका ईंधन है, अग्निका ईंधन पहले हुआ नहीं, ईधनकी अग्नि पहले हुई नहीं,