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के घाणूर और मुष्टिक महामल्लों का कृष्ण और बलभद्र द्वारा पराजित करना । कंस-वछ । अन्त में बलराम से रेवती का और कृष्ण से सत्यभामा का पाणिग्रहण।
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सासवा सर्ग कंस की मृत्यु पर जीवंजसा का पिता जरासंघ के समक्ष विलाप । जरामंध के आदेश से कालवयन का यादघसेना पर आक्रमण । दोनों ओर से भयंकर युद्ध । परिस्थितिवता यादवसेना का पश्चिमी तट की ओर हट जाना । समुद्रवर्णन। आठवा सर्ग समुद्र में मार्ग पाने के लिए कृष्ण और बलराम का दर्भासन पर बैठवर उपवास । समुद्र का बारह योजह जाना ।
द माश नारी | शिवादेवी बो सोलह स्वप्न। सत्रह देवियों द्वारा शिंवादेवी के गर्भ का शोधन । शुभ लग्न में तीर्थंकर (नेमि) का जन्म । इन्द्र का आगमन । ऐरावत हाथी का वर्णन । इन्द्र द्वारा जिन-स्तुति। सुमेरु पर इन्द्रादि देवों द्वारा शिशु का जन्माभिषेक । शिशु का 'नेमि' नामकरण । नौवा सर्ग महर्षि नारद का द्वारिकापुरी आगमन । शृगार में दत्तचित्त सत्यभामा द्वारा नारद मुनि को न देख पाना । नारद वा क्रोध और संकल्प । वलभद्र और नारायण द्वारा महर्षि नारद का सरकार । नारद के परामर्श से कृष्ण द्वारा रुक्मिणी का अपहरण । शिशुपाल द्वारा विरोध । युद्ध-वर्णन ।
२६-११४ दसर्वा सर्ग रुक्मिणी से विवाह कर श्रीकृष्ण का बलराम के साथ द्वारिका में प्रवेश । देवर्षि नारद का पुन: आगमन । जम्मुपुर के राजा की कन्या जम्बुवती के साथ परिणय हेतु श्रीकृष्ण को उकसाना। बलराम और कृष्ण द्वारा णमोकार मंत्र का जाप । यक्षदेव का सन्तुष्ट होना और उन्हें आकाशतलगामिनी आदि विद्याओं का दान। . श्रीकृष्ण का जम्बुयती से विवाह । एक दिन सत्यभामा के प्रासादोद्यान में कृष्ण के आग्रह पर रुक्मिणी का प्रवेश । सत्यभामा का सौतिया डाह । एक-दूसरे को नीचा दिखाने का निश्चय । कालान्तर में दोनों को एक ही दिन पुष-लाभ । रुक्मिणी के गर्म से प्रद्युम्न का जन्म । दैवयोग से विद्याधर धूमकेतु का आकाशमार्ग से वहाँ से होकर निकलना। विभंग अवधिज्ञान से अपना पूर्वभव का शत्रु जानकर उसके द्वारा शिशु प्रद्युम्न का अपहरण और सदिरवन में ले जाकर एक शिला के नीचे दबा देना। विद्याधर कालसंबर का वहां से निकलना। शिला का हिलना, बालक को उठाना और अपनी पत्नी कंचनमाला को सौंप देना ।इवर रुक्मिणी का पुत्रबियोग से दुःली होना । नारद का आगमन और धीरज बैधाना।
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