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'रिट्ठणेमिचरित' में हिरवंश का प्रारम्भ इन्हीं दोनों भाइयों (शूर और वीर) से होता है जो इस प्रकार है
शुर और मुन्नार इतनी) अंधकवृष्णि-सुभद्रा (पत्नी) १० पुत्र (समुद्रविजय आदि) २ पुनिया मद्री और कुन्ती
वीर और पद्मावती (पत्नी) भोजकवृष्णि-~-सुमुखी ३ पुष (उग्रसेन, देवसेन, महासेन) १ पुत्री (गान्धारी)
वसुदेव-देवकी
उग्रसेन – पद्मावती (पत्नी) कंस तथा देवकी (वसुदेव की पत्नी)
सात पुत्र उनमें से कृष्ण अन्तिम) कई पस्नियां थीं जिनमें रेवती से बलराम
राजा बसु का जो पुत्र (सुवसु) नागपुर जा बसा था, उसकी परम्परा में वृहदय हुआ जो जरासंध का पिता था । जरासंध और कालिन्दीसेना से जीवंजसा कन्या हुई। जरासंघ के कई भाई और पुत्र थे । उक्त वंशवृक्ष और उसकी शाखाओं से स्पष्ट है कि यादबकुल का मूलपुरुष यदु हरिवंश की उम शाखा से हुआ जो दक्ष के समय स्वतन्त्र हो गयी थी। यदु के पोसों (शूर और बीर) में बदुवंदा दो पाम्राओं में फैलता है, परन्तु उनमें सौहाई है। दूसरी पीढ़ी में, एक शाखा में वसुदेव हुए और दूसरी में देवकी ओर कंस। इस प्रकार ये सगोत्री ये परन्तु कंस अपनी बहिन देवकी का विवाह वसुदेव से कर देता है । मगध का राजवंश और विदर्भ का राजवंश भी हरिवंश की विच्छिन्न हुई (इन्चा-ऐलेय) शाखा के पत्ते थे। पाण्डवकुल अलग पा । परन्तु यदुकुल की कन्याएँ कुन्ती, मद्री और गान्धारी उन्हें न्याही थीं। तीपंकर नेमिनाथ समुद्रविजय-विधादेवी से उत्पन्न हुए । समुद्रविजय वसुदेव के बड़े भाई थे । इस प्रकार कृष्ण और नेमि दोनों पचेरे भाई थे । वसुदेव और कंस में एक पीढ़ी का अन्तर है । कंस और कृष्ण में भी एक पीढ़ी का अन्तर है । परन्तु अपनी बहिन देवकी का विवाह वसुदेव से करने के कारण वह बहनोई बने और कृष्ण मानजे। कंस के विद्रोह का प्रत्यक्ष कारण माता-पिता (उग्रसेन और पद्मावती) का कर व्यवहार है। वास्तविकता का पता चलने पर वह विद्रोह ग्रंथि बन जाता है। जीवंजसा देवकी का रमणवस्त्र दिखाकर आग में घी का काम करती है। जन पुराणकारों का मुख्य उद्देश्य यह बताना है कि राग की क्रिया-प्रतिक्रिया से एक ही कुल के लोग न केवल एक-दूसरे के दुश्मन बन जाते हैं, बल्कि उनमें भयंकर पुर इन जाते हैं । चूंकि जैन पुराणकार दूसरे मत (वैदिक मत) में प्रचलित हरिवंश परम्परा से जैन हरिवंश-परम्पग का अन्तर बताने के लिए ही पुराण की रचना करते हैं अत: यहाँ हिन्दू पुराणों की हरिवंश परम्परा का जानना आवश्यक है जिससे सही स्थिति का पता लग सके।