________________
१६६]
[सयंभूएवकिउ रिट्ठणेमिचरिउ २. परचित्तई-दूसरों के चित्तों को । अलियउ-अलीक, झूठमूठ । णिरायउ - अत्यन्त । बोरंजइ–गरजता है । विउजाणे-जागने पर।
२. पम्वइयज–प्रजित। अग्गि-कवारउ- अग्निकू पार । कूवार का प्रयोग सभी अपभ्रंश कवियों ने किया है। कल्पवृक्षों के नष्ट होने पर प्रजा ऋषभ तीर्थकर के पास जाकर कहती है :
'एक्कदिवसे गय पय धारें
वैव देव मुन मुक्खामारे-पउमचरिउ, २-८ हिन्दी शब्दकोश कूवार का विकास संस्कृत कूपार से मानते हैं पाहअसमहृण्णव' में कैवार के लोन अर्थ हैं: जहाज का अवयव, मुख्य भाग या गाड़ी का अपमय जिस पर गाड़ी का जुआ रस्या जाता है । 'कुवार' का अपभ्रंग माहित्य में विशिष्ट प्रयोग है, जिसके मूल शब्द का अनुसन्धान अपेक्षित है।
४. नणंतरि-क्षणांतर में । समसुसि--वज्र । पाडिज्ज- पाड़ा जाय, गिराया जाय । वाइया-- दौड़ी। हाईवेसें-घाय के देश में। आस-क्षप्त , डाल दिया। माइ3-समाता
५. पण वंति-(प्र-| स्नु, पन्हाना) पनहाती हुई ।माहब-रुहिरपाण-भाघव के रक्त का पान । परिचत्तर-परित्यक्त । मसंधरिहे—पृथ्वी का ।
६. उपकंदर-ऊँचा । समंबर--स्वमन्दिर, अपने घर में । थोवे काले- ..थोड़े समय में । पवणवणीय-हस्थ. नवनीत के समान हाथथाले ।
७. संदणवेसे -- स्पंदन के रूप में। दिम-संवाणियचंबकेहि --विस्तीर्णता में जिन्होंने चन्द्रमा और सूर्य को पराजित कर दिया है। मरिठ्ठ-अरिष्ट, वृषभ ।।
. भगगीज-भानग्रीव । अवरकमेण-दूसरे पर के द्वारा । कात्ति-कड़कड़ करके । वादेहवलण-अवविण्हें-दानव की देहदलन में अवितृष्ण । सरत्तियई- मात रातों में ।
६. परिबढिय बुद्धई-जिनका दूध बढ़ रहा है, ऐसे गोप । वारिप-कंचुयद्धयण-सिहर– जिन्होंने कंचकी से आधे स्तन का अग्रभाग दिखाया है। णारायणसिपहे-णिसपट-नारायण की श्री में स्थित । महग्घयत--महाषंकर।
१०. पीयलवासृ-पीतवस्त्र । आण--आझा, शपथ । पाउ—प्रस्नुत ।
११. अवहत्य करिषि –अपहस्तं कृत्वा, हटाकर । कंसहो पासिय-- कंस की ओर से। छुट्टा-छूटती है । वसुमई-~वसुमती।
१२. सच्चहामधरहलणिमित्त – सत्यभामा के वर के कारण । णित्तओ.---निश्चय से। १३. समास-साध्वस, भय । बेलि-घेरकर । चिति-चिन्सा करो।
छठा सर्ग
१. पहज-प्रतिज्ञा। ललिवलय-जलय-कुवलय-सबष्ण-भ्रमर समूह, मेघ और नील कमल के समान रंगवाले । फठिगि—कटिनी, मेखला, करधनी । संसोहिम-संक्षुब्ध ।
२. विसमलील-विषम लीला बाला । फणामणि-किरणजालु—फणामणियों के किरण जाल बाला। विससिय-जग्ग-काल-पवाह--विष से दूषित जल का प्रवाह । अवगविगय