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बारहमो सग्गो]
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सच्चहे पक्खिउ दुग्ण यवंत। तेग विवाह जोउ आउत्तउ ।। उहिमाल वर विक्कम सारहो। देसद पिय-सुय भागुकुमारहो ।। मंगलतरू एउ ओ वज्जा । पंणव पावसे जलणिहि गावाइ । पुरवरे रक्क्षावपउं बट्टइ । एसिउ कुजणत्त पयट्टा ॥ एप विवाह साहितुहावणु। होसह तुहणणहे भहायशु ॥ सं णिसुणेवि कुमार पलित। णं बवरिंग बुधवाएं पित्त ।। रिसि सविमाणु मुएप्पिणु तेसहे।
पइसह कुश्वराय-पुरु जेप्तहे॥ पत्ता-कामिगि-फामहं काम धुत्तहं अभंतरे पुत्तु। जगड पट्टषु सम्बु बारविहि कम्पिगि पुतु ॥४॥
सो पणत्ति-पहाय बालद। पइसह हस्थि होइ गयसालउ ॥ मयमल-मयमुअंत फेडाधिय । भगालागस्तंभ ओसारिय ।। पुरे पहसर बासु बडुवेर्स। जोइज्जह डिभयहि बिसेसे ।। वीहियवाविमारई भइ।
जलु सुबइहि गिण्हहंग लम्भह ।। सत्यभामा के पक्ष का और दुर्नयी । उसने विवाह का योग प्रारम्भ किया है। विक्रम में श्रेष्ठ भानुकुमार को वह अपनी कन्या उदधिमाला देगा। यह मंगल तूर्य बज रहा है, मानो नवपावस में समुन गरज रहा हो। पुरवर में रक्षा का प्रबन्ध है । यह कुरु की बारात जा रही है, यहाँ उसका अशोभन विवाह होगा और तुम्हारी माता का सिर मुंडा जाएगा । यह सुनकर कुमार भड़क उठा, मानो आग को तूफान ने छू लिया हो । महामुनि को विमान सहित वह छोड़कर, जहाँ कुरुराज का नगर था वहाँ प्रवेश करता है।
पत्ता-कामिनियों और कामों का कामदेव, और धर्मों के बीच में धूर्त शक्मिणी का बेटा अनेक रूपों में सारे नगर से झगड़ा करता है ॥४॥
प्रज्ञप्ति के प्रभाव से वह बालक हाथी बनकर गजशाला में प्रवेश करता है और मद छोड़ते हुए मंगल गजों को नष्ट करता है। उसने आलान लूटे) नष्ट करके हाथियों को हटा दिया । नानक बटु के वेश में नगर में प्रवेश करता है। बालकों के द्वारा वह विशेष रूप से देखा जाता