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दहमो सग्गो]
पत्ता- एम भणेपिणु देवरिसि पुवाविवेहे महंगणेन।
सीमंधरसामि-समोयरण अहिं सयंमूसियउ सुरयगेण ॥१२॥
इय रिद्वर्णमिचरिए अवलइयासिय-सयंभूएयकए
पज्जुाणा-रणं णामेण दहमो मग्गो ॥१०॥ पत्ता इस प्रकार कहकर देवर्षि नारद आकाश के आंगन से पूर्व विदेह के लिए चल दिये कि जहाँ देकवरों ने सीमंधर स्वामी के समोसरण को स्वयं अलंकृत किया था।
इस प्रकार धवलइया के आश्रित स्वयंभूदेव द्वारा विरचित नेमिनाथचरित में प्रश्न म्महरण नाम का
दसवा सर्ग समाप्त हुआ।॥१०॥