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[सयं एवकए रिमिरिए
धत्ता-सोतयलोयहो मंगलगारच सुरगुरु-पुष्पवितभार । star आसेषि पिर हरिवंसु सव्ध संभू सिवि ॥ १३ ॥
इरिमिरिए लक्ष्यासिय समनएवकए जिम्मा हिउ अटुमो सग्गी ॥ ८ ॥
सासीनों लोकों का भंगल करनेवाले बृहस्पति के पुण्यों से पवित्र, आदरणीय मे इन्द्रियरूपी श्रीरसमूह से कठे हुए समस्त हरिवंश की वोभा बढ़ाते हुए स्थिर थे ।। १३ ।।
इस प्रकार अरिष्टनेमिचरित में धवलया के आश्रित स्वयंभूदेव कृत नेमिजन्माभिषेक नामक पाठव सर्ग समाप्त हुआ ||८||