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________________ अट्टमो समो] पुणु केसरिविदुर पुणु धिमाणु। गुण भूरिभवः भाईवाण । पुणु रयगरासि पुणु जलणजातु। फलु अक्खइ आयव-सामिसालु॥ सुज होसद हरिकुल-गयण चंदु । गय-वंसणे गुरुववाहिवंदु ॥ घसा-सुरवर-पुंगड गोवाइ धंसणे अतुलपरपकम-सीहाणिरमखणे। तिहुमण-सिरिवह सिरिहि पहावे तित्थ परिसि वाम-मक्खावें ।। ५३६ कतिल्लुणियमिछए शुद्धहीरि। सेयालउ दिहिए रविसरोरि॥ प्रसजुयल-णिहालणि सोक्खयाणु। 'घड-संघक-दसणे मणिहाणु ॥ लपत्रणघरु विहें सरवरेण । केवल विहे रयणायरेण ॥ सहलोपक-सामिय-सौहासणेण। अहमिव विमाणहो बसणेण॥ भोईवभवणि विट्रिए तिणाणि। मणिरयणपुंजे गुण-रपण-सामि ।। सिहिसणे लोय-णिरुंधणाई। णियहाइ सयल-कम्मेंधवाइं॥ जह सोलह सिविणाई मे पठति । सये मंगल-सिउ-कल्लाग संति ॥ फिर रलराशि, फिर अग्नि-ज्वाला। यादवों के स्वामीश्रेष्ठ समुद्रविजय फल कहते हैं--- "तुम्हारा पुत्र हरिवंश रूपी आकाश का चन्द्रमा होगा, हाथी देखने से श्रेष्ठ देवी से वन्दनीय होगा। पत्ता–बल देखने से सुरवरों में श्रेष्ठ होगा, सिंह को देखने से अतुल पराक्रमी होगा, लक्ष्मी के प्रभाव से त्रिभुवन की लक्ष्मी का अधिपत्ति होगा, मालाओं के देखने से तीर्थ का प्रदर्शन करनेवाला होगा।॥५॥ पन्द्रमा के देखने से कान्तिमय, सूर्य देखने से तेजस्वी, मीनयुगल देखने से सुख का स्थान, कलश-समूह देखने से नवनिधान, सरोवर को देखने से लक्षणों को धारण करनेवाला, समुद्र को देखने से केवलज्ञान के ऐश्वर्य से युक्त, सिंहासन देखने से त्रिलोक का स्वामी, विमान को देखने से अहमिंद्र, नागलोक देखने से तीन ज्ञानवाला, मणिरत्नों के समूह से गुणों और रत्नों की खान, आग को देखने से लोक का अवरोध करनेवाला, समस्त कर्म रूपी ईंधन को जलानेवाला तुम्हारे पुत्र होगा । इन सोलह सपनों को जो पड़ते हैं उसका मंगल, शिव और कल्याण होगा। लोक के १.–णिअच्छिए । २. म-घसंथच १३. अ—भुवईद ।
SR No.090401
Book TitleRitthnemichariu
Original Sutra AuthorSayambhu
AuthorDevendra Kumar Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1985
Total Pages204
LanguageHindi, Apbhramsa
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size4 MB
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