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[सयंभूएवकए रिष्टुमिचरिए यत्ता--कल्लोलामएण हरि-आगम-कियायरेण।
सहं भूरिभएण गाई पणच्चियउ सायरेण ॥१५॥
इन रिदृणेमिचरिए धवलइयासिय-सयंभूएवकए जायवबल-णिग्गमो
णाम णायनो सत्तमो सगो।।७।।
धत्ता—जो कल्लोलमय है और जिसने श्रीकृष्ण के आगमन का आवर किया है, ऐसा समुद्र अपनी प्रचुर मुजाओं से स्वयं नाच उठा ।।१५।।
इस प्रकार धवलइया के आश्रित स्वयंभूदेव द्वारा विरचित 'अरिष्टनेमिचरित' में
यादव-बल निर्गमन नाम का सातवा सर्ग जानना चाहिए ।।१७।।