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रयणसार क्षुद्र स्वभावी व दुर्भावना युक्त जीव सम्यक्त्व हीन हैं खुद्दो-रुद्दो रुट्ठो, अणि? पिसुणो सगवियो-सूयो । गायण-जायण-भंडण-दुस्सण-सीलो दु सम्म- उम्मुक्को ।।४४।।
अन्वयार्थ ( खुद्दो ) क्षुद्र प्रकृति वाले ( रुद्दो ) रुद्र प्रकृति वाले ( रुट्टो ) रुष्ट प्रकृति वाले ( अणिठ्ठ ) दूसरों का अनिष्ट चाहने वाले ( पिसणो । चगलखोर ( सगचियो ) गर्व सहित ( असूयो ) ईर्ष्यालु ( गायण ) गायक ( जायण ) याचक ( भंडण ) गाली देने वाले/ कलह करने वाले (दु) और ( दुस्सण-सीलो) दूसरों को दोष लगाना स्वभाव हैं जिसका-ये सब ( सम्म-उम्मुक्को ) सम्यग्दर्शन से रहित होते हैं।
अर्थ—जो जीव क्षुद्र अर्थात हीन स्वभाव वाले हैं, रुद्र अर्थात् रौद्र क्रूर/निर्दयी स्वभाव वाले है, रुष्ट प्रकृति अर्थात् छोटी-छोटी बातों में रुष्ट होने वाले हैं, दूसरे का अभिष्ट चाहने वाले या दृसरों का अनिष्ट करने वाले हैं, चुगलखोर-दूसरों की बातों को उल्टा-सुल्टा भिड़ाने वाले हैं, ईर्ष्यालु असहिष्णु हैं, गायक हैं, याचक है, अप्रिय, भंड वचनों को बोलने वाले हैं/कलहप्रिय हैं और दूसरों को दोष लगाना, अवर्णवाद करने वाले हैं ये सब सम्यक्त्व रहित हैं । अर्थात् क्षुद्र, रौद्र, रुष्ट, अनिष्ट आदि दुर्भावना वाले प्राणी सम्यक्त्व रहित होते हैं।
जिन-धर्म विनाशक जीवों के स्वभाव वाणर-गद्दह-साण-गय, वग्ध-वराह-कराह । मक्खि-जलूय-सहाव-पर, जिणवर धम्म विणास ।।४५।।
अन्वयार्थ ( बाणर ) बन्दर ( गद्दह ) गधा ( साण ) कुत्ता ( वग्घ ) बाघ ( वराह ) सूकर/सुअर ( कराह ) कछुआ कच्छप ( मक्खि ) मक्खी ( जलूय ) जोक ( सहाव-पार ) स्वभाव वाले मनुष्य ( जिणवर धम्म ) जिनवर धर्म के ( विणास ) विनाशक हैं ।