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ज्ञानदिवाकर, मर्यादा शिष्योत्तम, प्रशांतमूर्ति आचार्यश्री भरतसागर जी महाराज की स्वर्णजयंती वर्ष के उपलक्ष में :
सिरि कुंदकुंदाइरिय विरइयं रयणसार
अनुवाद आर्यिका १०५ स्याद्वादमती माता जी
अथं सहयोगः - श्रीमती चिरोंजीदेवी धर्मपत्नी तेजकरणजी बाकलीवाल
तत्पुत्र जीतेन्द्र बाकलीवाल, गोहाटी (आसाम) ( परमपूज्या आर्यिका सल्लेखनामती माताजी के तृतीय दीक्षा दिवस के उपलक्ष में)
भारतवर्षीय अनेकान्त विद्वत् परिषद्