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________________ तु ] 1...२० रत्नमाला पृष्ठतो . . 36 TOP मांस e li. . २० रत्नमाला पृष्ठा ... 36 अष्ट मूलगुण मध-मांस-मधु त्याग संयुक्ताणुव्रतानि नुः । अष्टौ मूलगुणाः पञ्चोदुम्बरैश्चार्भकेष्वपि।।१९. अन्वयार्थ : मद्य मद्य मांस मधु-त्याग मधु के त्याग मां.. सहित अणुव्रतानि अणुव्रत अवश्य अष्टौ आठ मूलगुणाः मूलगुण हैं। और पच पाँच उदम्बरैः उदम्बर (त्याग) आर्भकेषु बालकों के लिए अपि भी है) अर्थ : तीन मकारों का त्याग व पाँच अणुव्रत ग्रहण ये आठ मूलगुण हैं। बालकों के लिए तीन मकार त्याग व पंचोदुम्बर फल त्याग ये आठ मूलगुण हैं। ___ भावार्थः मूल शब्द के प्रधान, जड़, प्रारंभ, आधार, स्त्रोत, पाठ, छोर आदि तथा गुण शब्द के भाव, आचरण, धर्म, स्वभाव, उपयोग, लाभ, प्रभाव आदि अर्थ हैं । यहाँ मूलगुण शब्द का अर्थ है-प्रधान आचरण। श्रावकों के लिए जो आचरण अवश्यंभावी है, वे मूलगुण हैं। यद्यपि उसकी ८ संख्या निर्धारित की गई हैं,। परन्तु वे तीन प्रकार से पाये जाते हैं। यथा स्वामी समन्तभद्र का कथन है कि मद्य-मांस-मधुत्यागैः सहाणुव्रतपञ्चकम् । अष्टौ मूलगुणानाहुहिणां श्रमणोत्तमाः ।। (रत्नकरण्ड प्रावकाचार - ६६) अर्थ : श्रमणोत्तमों ने गृहस्थों के आठ मूलगुण बताये हैं - मद्य-मांस-मधु त्याग तथा पंच अणुव्रतों का पालन। ___ ग्रंथकार शिवकोटि भी इस मान्यता का समर्थन करते हुए लिखते हैं मद्य-मांस-मधु त्याग, संयुक्ताणुव्रतानि नुः अष्टौ मूलगुणाः। - - - - - - - - - - - -- - - - - - -- सुविधि ज्ञान चन्द्रिका प्रकाशन संस्था, औरंगाबाद,
SR No.090399
Book TitleRatnamala
Original Sutra AuthorShivkoti Acharya
AuthorSuvidhimati Mata, Suyogmati Mata
PublisherBharatkumar Indarchand Papdiwal
Publication Year
Total Pages144
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size3 MB
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