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मंगलरूप नमस्कार भास्तिकता
Mmmeru
शानाय मंगलकामना शब्दों का सामान्य विशेष अर्थ श्री वर्धमान शध्दका अर्थ निधू तकलिलात्माका अर्थ कारिका नं. ५ के उत्तरार्धका अर्थ मंगलकारिका का तात्पर्य "श्री अर्धभान" नाम करणक्रिया और श्री शब्दपर विचार कारिकान के अर्थसे मिलान मोक्षशास्त्रक मंगलपन्यसे मिलान बीनागता और निर्दोषता सर्वशता समता और तीर्थकरत्व तीर्थ और उसके पात्र भेद उपदेश की प्रामाय अन्धका नाम धर्म का लक्षण उसके वर्णनकी प्रतिज्ञा कारिका नं०२ धर्मोपदेश का हेतु और पन्धकारका भाशय परोपकार सराग भाव है। इसका उत्तर शब्दोंका अर्थ , देशयामि उत्तम सुख तात्पर्य, धर्मके चार प्रकार धर्म अधर्म का निर्देश कारिकानं०५ दुःस-सुख जीव की अवस्थाएं हैं शनोंका अर्थ वर्शन आवि शब्दों पर विशेष निर्देश सम्यक्त्वरहिन चारिण समीचीन कैसे? रलत्रयकी भजनीयता तात्पर्ण । धर्मको पूर्णता सम्पग्दर्शन का लक्षण कारिका नं०४ बक्षण का स्वरूप सम्पदर्शनका यह लक्षण निर्दोष है शब्दोंका अर्थ । श्रद्धान, और वर्शन शब्दका विचार असम मादि सम्यबस्नके सम में
विषय-सूची
१ आप्त. आगम तपोभूत मूवताका मर्षे १ तात्पर्य २ तीन किया विशेषणों में मष्टांग विशेषण की
मुख्यता
प्रन्थमें प्रयुक्त सम्यग्दर्शन वापक शव्य ३ आता लक्षण कारिका नं०५ ४ आप्त वषयक सात मिथ्यामान्यताएं
लौकिक और पारलौकिक मातताएं शब्दों का अर्थ ता पर्य।
वंद की अनादिता आदि पर विचार । है आप्तके तीन विशेषगोंकी आवश्यकता १३ तीन गुणोंमे कार्य कारण आदि विचार १४. कारण और करण में माता | १५ प्राप्तकी निर्दोषना कारिकानं०३ १७ अठारह दोष और उनका पर्ष। 1 शब्दों का सामान्य विशेष अर्थ । २२ मारह वोपोंका पाठ कर्मोंसे सम्बन्ध २३ मोहका क्षय होजानेपर पातियों की तरह २४ अधातिया कर्मों का भी समस्यों नहीं बता
अठारह दोपोंका ठीनतरहसे गिनानेका कारण २४ २५ तात्पर्य । निर्दोषता और मामला २५ सर्वज्ञता और आगमेशित्व कारिकानं.. २७ सामान्य, विशेष शनार्थ २८ प्राप्त के भार अतिशयोंसे पाठविशेषणोका
सम्बन्ध तात्पर्य छयालीस गुणों की इसकारिका संगति पातिकर्मके क्षयसे अनन्त चाटय , और
पुण्योदय से प्रात प्रभुता ३८
तीर्थकरताका सर्वज्ञता और नागमेशिवसे अजहत् सम्बन्ध अर्थान्तरन्यास असर द्वारा भागमोगत्व विशेषण का समर्थन कारिका नं० म प्रयोजन शब्दों का अर्थ तात्पर्य
भागम का लक्षण कारिका योगी
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