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रत्नकरण्ड श्रावकाचार
ताडनायुपसर्गः कृतः । देवता काचिदियमिति भीतेन तेनावासित सार्थ पुष्पकनाम्नः सार्थवाहस्य समर्पिता । सार्थवाहो लोभ दर्शयित्वा परिणेतुकामो न तथा वाञ्छितः। तेन चानीयायोध्याया कामसेनाकुट्टिन्याः समर्पिता, कथमपि वेश्या न जाता । ततस्तया सिंह राजस्य राज्ञो दर्शिता तेन च रात्रौ हठात् सेवितुमारब्ध । नगरदेवतया तद्वतमाहात्म्येन तस्योपसर्गः कृतः । तेन च भीतेन गृहानिःसारिता । रुदती सखेदं सा कमलश्रीक्षांतिकया श्रायिकेति मत्वाऽतिगौरवेण धृता । अथानन्तमतीशोक विस्मरणार्थ प्रियदत्तश्रेष्ठी बहुसहायो वन्दनाभक्ति कुर्वन्नयोध्यायां गतो निजश्यालक जिनदत्तवेष्ठिनो गहे संध्यासमये प्रविष्टो रात्री पुत्री हरणबार्ता कथितवान । प्रभाते तस्मिन् वन्दनाभक्ति कतु गते अति गौरवितप्राधूर्णकनिमित्त रसवती कतु गृहे चतुष्कं दातु कुशला कमलश्रीक्षांतिका श्राविका जिनदत्त मार्यया आकारिता | सा च सर्व कृत्वा वसतिकां गता। वन्दनाभक्ति कृत्वा आगतेन प्रियदत्त श्रेष्ठिना चतुष्कमालोक्यानन्तमती स्मृत्वा गह्वरितहृदयेन गद्गदित वचनेनाथ पातं कुर्वता भणितं-यया ग्रहमण्डनं कृतं तां मे दर्शयेति । ततः सा आनीता तयोश्च मेलापके जाते जिनदत्त श्रेष्ठिना च महोत्सवः कृतः । अनन्तमत्या चोक्तं तात ! इदानीं मे तपो दापय, दृष्टमेकस्मिन्नेव भवे संसार वैचित्र्यमिति । ततः कमलश्रीक्षांतिकापावें तपो गृहीत्वा बहुना कालेन विधिना मृत्वा तदात्मा सहस्रार कल्पे देवो जातः ॥ २ ॥
अनन्तमती की कथा अंगदेश को चम्पानगरी में राजा वसुवर्धन रहते थे। उनकी रानी का नाम लक्ष्मीमती था । प्रियदत्त नामका सेठ था, उसकी स्त्री का नाम अलबती था और दोनों के अनन्तमती नामकी एक पुत्री थी। एक बार नन्दोश्वर-अष्टाह्निका पर्व की अष्टमी के दिन सेठ ने धर्मकीर्ति आचार्य के पादमूल में आठ दिन तक का ब्रह्मचर्य व्रत लिया। सेठ ने क्रीड़ावश अनन्तमती को भी ब्रह्मचर्य व्रत दिला दिया ।
अन्य समय जब अनन्तमती के विवाह का अवसर आया तब उसने कहा कि पिताजी ! आपने तो मुझे ब्रह्मचर्य व्रत दिलाया था, इसलिए विवाह से क्या प्रयोजन है ? सेठ ने कहा-मैंने तो तुझे क्रीड़ावश ब्रह्मचर्य दिलाया था । अनन्तमती ने कहा कि प्रतरूप धर्म के विषय में क्रीड़ा क्या वस्तु है ? सेठ ने कहा-पुत्रि ! नन्दीश्वर पर्व के आठ दिन के लिए ही तुझे ब्रह्मचर्य व्रत दिलाया था, न कि सदा के लिए अनन्तमती ने कहा कि पिताजी ! भट्टारक महाराज ने तो वैसा नहीं कहा था। इस जन्म में मेरे