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________________ रत्नकरण्ड श्रावकाचार ३२४ ] कृत्वा ? स्वशक्तिमनिगुह्य तद्विधाने आरमसामर्थ्य अच्छाच किविशिष्ट. : प्रणिधिपर: एकाग्रतां गतः शुभध्यानरत इत्यर्थः ।।१६।। श्रावक के प्रोषधोपवासगुण का प्रतिपादन करते हुए कहते हैं-- (य:) जो (मासे मासे) प्रत्येक मास में (चतुर्वपि) चारों ( पर्वदिनेषु ) पर्व के दिनों में (स्वशक्तिम् ) अपनी शक्ति को (अनिगुह्य) न छिपाकर (प्रोषधनियमविधायी) प्रोषध सम्बन्धी नियम को करता हुआ ( प्रणिधिपरः ) एकाग्रता में तत्पर रहता है, वह (प्रोषधानशनः) प्रोषधोपवास प्रतिमाधारी है। टोकार्थ---'प्रोषधेनानशनमुपवासो यस्यासो प्रोषधानशनः' इस विग्रह के अनुसार धारणा-पारणा के दिन एकाशन और पर्व के दिन जो उपवास करता है, वह प्रोषधनियमविधायी कहलाता है । जो बिना नियम के प्रोषध-उपवास करता है वह भी प्रोषधवत सम्पन्न कहलाता है। इसके उत्तरस्वरूप में कहते हैं कि प्रोषधोपवास के नियम का परिपालन करने वाला तो अवश्य ही नियमपूर्वक पर्व के दिनों में अर्थात दो अष्टमी और दो चतुर्दशी के दिनों में प्रोषधोपवास अत का परिपालन करता है। तो क्या चातुर्मास के प्रारम्भ से इस व्रत का पालन किया जाता है ? उत्तर देते हैं कि प्रत्येक माह की दो अष्टमी और दो चतुर्दशी इस प्रकार पर्व के चारों दिनों में अपनी शक्ति को न छिपाकर उपवास करना होता है । इस प्रतिमा का धारक एकाग्रता से शुभ ध्यान में तत्पर रहता है। विशेषार्थ-जिन आचार्यों ने प्रोषध का अर्थ एकाशन न करके पर्व अर्थ किया है उनके मत से 'प्रोषधे पर्वणि अनशनमुपवासो यस्यासौ' अर्थात् जो पर्व के दिनों में उपवास करता है। यहाँ प्रोषधनियमविधायी का विग्रह इस प्रकार है 'प्रोषधस्य पर्वणो नियमं विदधातीति प्रोषधनियम विधायी' अर्थात प्रोषधोपवास प्रतिमा का धारी प्रोषधोपवास के काल में-पर्व के दिनों में पांचों पापों का, अलंकार. शृगार, अंजन, आरम्भादि का त्याग करता है । शरीर आदि से ममत्व नहीं करता। उपवास के दिन चित्त की एकाग्रता (शुभ ध्यान) करता है। आहार त्याग, अंगसंस्कार त्याग, व्यापार त्याग और ब्रह्मचर्य धारण से प्रोषधवत को चार प्रकार का कहा है। यहां पर 'स्वशक्तिमनिगुह्य' इस पद से यह
SR No.090397
Book TitleRatnakarand Shravakachar
Original Sutra AuthorSamantbhadracharya
AuthorAadimati Mata
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year
Total Pages360
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size9 MB
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