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________________ भ० सकलकोति १५. पंचपरमेष्ठी गंध कुटीय १६. भ्रष्टानिका १७. गणधर भेय । १८. सोलहकार पूजा विधि गरिए सवि प्रगट प्रकासिया सेय ॥ १९. सुक्तिमुक्तावलि २०. क्रमविपाक गुरि रचीय डाईमा परि विविध परिग्रंथ | मरह संगीत पिंगल निपुण गुरु गुरउ श्री सकलकीत्ति नियथ ॥ लेकिन राजस्थान में ग्रंथ भंडारों की जो प्रभी खोज हुई है उनमें हमें अभी- तक निम्न रचनायें उपलब्ध हो सकी हैं । संस्कृत की रचनायें १. मुलाचारप्रदीप २. प्रश्नोत्तरोपासकाचार ३. श्रादिपुराण ४. उत्तरपुराण ५. शांतिनाथ चरित्र ६. वर्द्धमान चरित्र ६. मल्लिनाथ चरित्र ८. यशोधर चरित्र ९. धन्यकुमार चरित्र १०. सुकुमाल चरित्र ११. सुदर्शन चरित्र १२. सद्भाषितावलि १२. परिर्वनाथ चरित्र १४. सिद्धान्तसार दीपक १५. व्रतकथा कोश १६. नेमिजिन चरित्र १७. कर्मविपाक १५ तत्वार्थसार दीपक १९. आगमलार २०. परमात्मराज स्तोत्र २१. पुरण संग्रह २. सारचतुविशतिका २३. श्रीपाल चरित्र २४. जम्बूस्वामी चरित्र २५. द्वादशामुक्षा
SR No.090391
Book TitleRajasthan ke Jain Sant Vyaktitva evam Krititva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherGendilal Shah Jaipur
Publication Year
Total Pages322
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & History
File Size5 MB
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