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________________ वीर- विलास फाग केलि कमल श पोल सावरण परी त्रिभुवनपति त्रिभुवनतिलो नुनीलो गुण गंभीर ||७|| माननी मोहन जिनवर दिन दिन देह दिपंत | प्रलंब प्रताप प्रभाकर भवहर श्री भगवंत ||८|| लोला ललित नेमीश्वर अलवश्वर उदार । प्रहसित पंकज पखंडी प्रखडी उपि अपार ॥ अति कोमल गल कंदल, प्रमिल वाणी विलाश । अगि अनोपम निरुपम मदन निवास ॥१०॥ भराया वन प्रभु घर बस्यो संचय सभा मकारि । अमर खेचर नर हरीया नरखीया नेमि कुमार ॥। ११ ॥ देव दानव समान सहू बहू मल्या यादव कोडि । फणी पति महीपति सुरपती बीनती करु कर जोड़ि ॥ १२ ॥ सुरिए शि स्वामी सामला सबला साह सुतंग | प्रथम तं बहु सुख सम्पदा सुप्रदा भाग विचंग ||१३|| पीख परमारथ मनि घरि आचरि चारित्र चंग | आप अपराधज्यो साधज्यो शिव सुख संग ||१४|| उग्रसेन यां केरी कुमरी मनोहरी मनमथ रेह । साव सणा गोरड़ी, उरडी गुण तरणी रेह ॥ १५ ॥ मंगल ती प्रतिमलयती चालती चउरसु चंग | कटि सटि लंक लघुतर उदर त्रिवली मंग ।। २६ ।। कठिन सुपीन पयोधर मनोहर प्रति उतंग | चंपक चंद्राननी माननी सोहि सुरंग ॥२७॥ हरणी हरावी निज नयगाडि वय साह सुरंग । दंतसुती दीपती सोहली सिर देखी यंत्र ||१८| कनक फेरी जसो पूतली पातली पदमनी नारि । सतीय शिरोमणि सुंदरी श्रवतरी अवनि मारि ॥१६॥ ज्ञान विज्ञान विचक्षणी सुलक्षणी कोमल काय | दान सुपात्रह पोखती पुजसी श्री जिन पाय ॥२०॥ J २६७
SR No.090391
Book TitleRajasthan ke Jain Sant Vyaktitva evam Krititva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherGendilal Shah Jaipur
Publication Year
Total Pages322
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & History
File Size5 MB
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