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________________ सम्यक्त्व मिथ्यात्व रास वस्त्राभरणई मंडीया, सरसीय दीसे ए नारी । आयुध हाथि बीहावरण, अजीय नमु कीय मारी ॥ ११२ ॥ जे पानि जीव मारेए ते, क्रीम कहीय ए देव । जें धरमन पामी, झणी करो तेहनीय सेव ॥ १३॥ दोसता वाचरणा देवदेवो तह जाणो । रौद्रध्यान दीठें उपजे मरणोकरी तेह... १४ बडपीपल नवि पुजीए, तुलसी मरोय उबारि । दोष लाड नवि पूजिए, एक बीचारउ नारि ॥१५॥ उबर थमन पूजीए, कात्रिणी चुरहट प्राणि ॥ घागर मडका पूजी करी ते कान्हं फल मन मागि ।।१६।। 1 सागर नदोधन पुजीए, वावि कुबा अडसोड | जलवा एन जुहारीय ए, सवे देव न हो६ ॥ १७॥ राजघोडा नवि पुजीए, पसुव गाइ सवे मोर । काग वास जे नाबि से, माणस नहीं ते ढोर ।। १८ ।। खीचड पीतर न पुचीए, एकल टिम घालो । मूलां पुठे नवि कलपीए, कुदान की हानम भालो ॥ ११ ॥ उकरडी नवि पुजोए होलीय तम्हे म जुहारी | गाजर नवि मानी, भवा मिथ्यात नी बारो ॥२०॥ f २ ] दाल बीजी मिथ्यात सयल नीवारीए, जाग म रोपट नारि । माटी कोउतु करीए पछे किम मोडीए गंवारि ॥ १ ॥ ॥ ताम धान बोवावीए कहीए रना देदि तेह | सात दीवस कागें यूजीए, पछे किम बोलीए तेह ॥२॥ जोरतादेवि पुत्र दे, तो कोई बाभीयो न होइ । पुत्र धरम फलं पामीड, एह बीचार तु जोइ || ३ || धरम पुत्र सोहावरणाए, धरमइ लागि भण्डार 1 धरमइ घरि बधावरणा, घरमइ रूप प्रपार ||४|| २२१
SR No.090391
Book TitleRajasthan ke Jain Sant Vyaktitva evam Krititva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherGendilal Shah Jaipur
Publication Year
Total Pages322
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & History
File Size5 MB
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