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________________ 1 ३७८ सहजानन्दशास्त्रमालायां ३ - चरणानुयोगसूचिका चूलिका . अथ परेषां चरणानुयोगसूचिका चूलिका | तत्र--- द्रव्यस्य सिद्धो चरणस्य सिद्धिः द्रव्यस्य सिद्धिश्चरणस्य सिद्धी । बुद्धवेति कर्माविरताः परेऽपि द्रव्याविरुद्धं चरणं परंतु ॥ १३ ॥ इति चरणाचरणे परान् प्रयोजयति-- 'एस सुरासुर' इत्यादि, सेसे इत्यादि ते ते इत्यादि । ३ - चरणानुयोगसूचिका चूलिका sa दूसरोंको घररणानुयोगकी सूचिका चूलिका है। वहीं प्रथम हो, द्रव्यस्य इत्यादि । अर्थ- द्रव्यकी सिद्धिमें चारित्रकी सिद्धि है, और चारित्रको सिद्धिमें द्रव्यकी सिद्धि है, ऐसा जानकर, कर्मोंसे अविरत दूसरे भी द्रव्यसे श्रविरुद्ध चारित्रका प्राचरण करो। इस प्रकार पूज्य श्री कुन्दकुन्दाचार्य दूसरोंको चारित्रके प्रावरण करनेमें योजित करते हैं । "एस सुरासुरमरणुसिंदवं दिदधोदघाइकम्ममलं । परणमामि वढ्ढमारणं तित्यधम्मस्स " कत्तारं ॥ सेसे 'पु तित्थयरे सव्वसिद्धे विसुद्ध सन्भावे । समणे थ गाणदंसणचरिततववोरियायारे ॥ ते ते सच्चे समगं समगं पत्तेगमेव पत्तेगं । वंदामि य वट्टते रहते माणुसे खेते ॥"
SR No.090384
Book TitlePravachansara Saptadashangi Tika
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages528
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Religion, & Sermon
File Size22 MB
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