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प्रवचनसारोद्धारे सटीके
प्रति पंक्ति अक्षर:३६ स्तबक लिखने के लिए जगह छोड़ी हैं, लेकिन लिखा नहीं है। पार्श्व माग में टिप्पण है।
अन्त भाग: "इति श्री प्रवचन सारोद्धार नामकं प्रकरणं प्रत्याख्याने कल्पाकल्पमेवसूचक सम्पूर्णम् । वासनार्थ मुनि बल्लभविजयजी। संवत १९०६ ना हर्ष फागण शुदि ४॥"
L यह प्रत लालभाई दलपतभाई मारतीय संस्कृति विद्यामन्दिर (प्रमदाबाद स्थित मण्डार के भेट क्रमांक
प्रवचन | का सार प्रस्तावना
द्वितीयः खण्डः
।। ८1
प्राकारः२७४४१३ सेन्टी मिटर इति भो प्रवचनसारोद्धारनामक प्रकरणं । प्रत्याख्याने कल्पाकल्प मेदसूचकं संपूर्णम् ॥धी।
म. मुनिश्री मानविजय संपावित व वि.सं. १९६५ में प्राचार्य श्रीमद् विजयदानसूरीश्वरप्रन्थमाला (१५) में प्रकाशित संस्करण के पाठ भेदों म. संकेतसे दिये गये है।
प्रस्तुत सम्पादन प्रस्तुत ग्रन्थ ५६-६० वर्ष पूर्व देवचंद लालमाई पुस्तकोद्धार फण्ड द्वारा प्रकाशित हया था। उसके सम्पादन में कौन सी हस्त प्रत उपयुक्त की गई थी उस पर प्रकाश उक्त संस्करण में नहीं डाला गया है।
इस प्रन्थ को संशुद्ध करने के लिए विविध स्थलों से प्राचीन हस्तप्रतें प्राप्त करने का प्रयास हमने किया।
दे ला संस्करण के पाठों से विशिष्ट या शुख पाठ मिलने पर हमने उस पाठ को स्वीकार कर मूस में समाविष्ट किया एवं दे. ला. संस्करण के पाठ को मु. संकेत से टिप्पण में निविष्ट किया।
प्रागम प्रकरण प्रादि में जहां जहां प्रस्तुत अन्य के साथ समता दृष्टिगोचर हुई, वहां टिप्पण में दुलना दी है। - प्रस्तुत ग्रन्थ से अन्य प्रन्थ में मतान्तर देखने पर उसका भी निर्देश टिप्पण में दिया हैं [xण्टभ्यः मा. १ 14. १५८]
का सामना
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