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________________ शुक्ल ध्यान से १४ वे गुणस्थान में स्थित हो अनन्त अव्याबाध सुख सम्पन्न मोक्ष को प्राप्त किया । उसी समय इन्द्रादि देवों ने आकर मोक्षकल्याणक पूजा-विधान महोत्सव मनाया । रत्नदीपमालिका जलायी । इनके समय में जयसेन नाम के ११ वें चक्रवर्ती हुए । मित्रवर कुट का दर्शन करने से १ कोटि उपवास के फल की प्राप्ति होती है नमिनाथ स्वामी हमें भी मुक्ति मार्ग प्रदर्शक हो इस भाव से चरित्र पढ़ना चाहिए । प्रश्नावली चिह्न MANGONG लाल कमल १. नमिनाथ कौन से तीर्थङ्कर हैं ? २. इनको पहिचानने का उपाय क्या है ? ३. ग्रापने नमिनाथ भगवान का दर्शन किया क्या ? कहाँ किया ? ४. इनको वैराग्य किस प्रकार हुआ ? ५. इनकी जन्म नगरी, माता, पिता, दीक्षा वन, केवलज्ञान वृक्ष का नाम लिखो ? ------------------------- ६. राज्यकाल कितना था ? पूर्ण वायु कितनी थी ? ७. शरीर का रंग कैसा था ? मुक्ति कहाँ से और कब प्राप्त की ? [ २३१
SR No.090380
Book TitlePrathamanuyoga Dipika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayamati Mata, Mahendrakumar Shastri
PublisherDigambar Jain Vijaya Granth Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages271
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Story, Literature, H000, & H005
File Size5 MB
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