________________
किया । अपने-अपने भावानुसार सभी पुण्य राशि बटोर कर अपनेअपने स्थान चले गये ।
श्री वर्म भूपति पाल पुहमी, स्वर्ग पहले सुर भयो । पुनि अजितसेन छ खण्ड नायक, इन्द्र अच्युत में थयो । वर पद्मनाभि नरेश निर्जर, वैजयन्त विमान में | चन्द्राभ स्वामी सातवें भव, भये पुरुष पुराण में || ललितकूट के दर्शन करने का फल ८६ लाख उपास का फल होता है।
चिह्न
प्रश्नावलि
१३४ }
चन्द्रमा
१. चन्द्रप्रभु का चिह्न क्या है ?
२. इनके कितने पूर्वभव आप जानते हैं ? किसी एक भय का वर्णन करिये ?
३. दीक्षा वृक्ष और समवशरण की प्रथम रचना का स्थान क्या हैं ?
४. जन्म और मोक्ष की तिथि बताइये ?
५. इनके शरीर की ऊँचाई कितनी और रंग कैसा था ?
६. चन्द्रप्रभु के माता-पिता और नगरी का नाम बताईये ?
७. आपके जिनालय में चन्द्रप्रभु भगवान हैं क्या ?
८. इनका कुमार और राजकाल कितना था ? ६. किस वन में किस वृक्ष के नीचे केवलज्ञान हुआ
?