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________________ CONTARPANTHEM itv -rnluuuN ind..* ... *.*."titiir" AwarenemERIOSIANS प्रासादमदाने तक सब घर १४४ भाग के मान से बनाकर के पीछे उसके कार मञ्ची प्रादि पर बनायें जाते हैं, उनका मान इस प्रकार है --- उपरोक्त १४४ भाग के मण्डोवर के खुरासे लेकर भरणी तक के सब थर बना करके उसके ऊपर मंची पाठ भाग की, जंपा पचीस भाग को, उद्गम तेरह भाग का और भरणी पाठ भाग की बनानी चाहिये । इसके ऊपर शिराबटी केवाल. अंतराल और छज्जा, ये चार थर १४४ भाग के मंडोथर के मान का बनायें। फिरसे इस छज्जा के ऊपर सास माय की मंत्री, सोलह भाग की जंघा, सात भाग को भरणो, चार भाग की गिरावटी, पांच भाग का पाट और बारह भाग का कूटछाध बना। यह मेहमंडोदर सब इच्छित फल देने वाला है । कुम्भा का एक चतुर्थांश भाग जितना सब घरों का निर्गम रखखें ।।२२४ से २७॥ क्षीरार्णव में कहा है कि "प्रस्योदये च कर्तव्य प्रथमं षट्कच्छाधम । यावत्समोदयः प्राज्ञ ! तावन्मण्डोवरं कृतम् ।। तथाद्यच्छाधसस्थाने हूँ जथे परिकीतिते । "भवेयुविशमला यावत्त शता|दये ।। षड्विधं कुटच्छायच द्विभूम्योरन्तरे मुने!। भरपर्चे भवेन्मायो छायोर्वे , छ मनिका || पुनर्जा प्रदातव्या यावद् द्वादशसंख्यया । निश्चित किश्चिद् भवेन्न्यूनं कर्तव्यो भूमिकोच्छयः ।। शताौंदर्य माने च महामेरुः प्रदापयेत् ।" अध्याय १०४।। जितना प्रासाद का उदय हो, उतना ही ऊंचा महोकर रखें। इस मंडोवर के उदय में छह सुनने बना। प्रथम खाजा दो अंधा वाला बनावें। इस प्रकार पचास हाथ के प्रासार में बारह अंधा और छह छज्जा बनाया जाता है। दो दो भूमि के फासले * पर एक २ छज्जा बनाना चाहिये । भरणी के ऊपर मावी रमले, किन्तु छज्जा के ऊपर मांची रहीं रखनी चाहिये । नीचे की में भूमि से ऊपर की भूमि को ऊंचाई कम कम रखनी चाहिये। यह समान्य माओवर I महामेरु मंडीवर पचास हाय के प्रासाद के लिये बनाना पाहिये। GHETHISel LiteraouanawinAARRIA maumund
SR No.090379
Book TitlePrasad Mandan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansagar Vagarth Vimarsh Kendra Byavar
PublisherGyansagar Vagarth Vimarsh Kendra Byavar
Publication Year
Total Pages277
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Art
File Size7 MB
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