SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 107
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ HERAPRAMAndren - क सत्तारखा विभाग सुभगा fival ] TERWAG पंचाना भाग Loud पत्रिका मवशरथा. विस्तारमा ११ [भिंगार याभ पशासा शाखा के विस्तार का बोया भाग शास्या का प्रवेश (निर्गम ) रक्खें । रूपस्तंभ के दोनों तरफ शोभा के लिये एक २ कोरिणका बनावें, इसमें चंपा के फूलों को अथवा जलक्ट को प्राकृति करें ॥६॥ सूत्रधार राजसिंह कृत वास्तुराज में कहा है कि-- "सर्वेषां पेटके व्यासः प्रवेशस्तु युगांशका ।। सार्धवेदांशतो वापि पञ्चांशोऽथवा मतः॥" अध्याय ६ ___सब शासानों का प्रवेश शाला के विस्तार के चौधे भाग, साढे चार भाम अथवा पांचवें भाग तक रखें। अपराजित पृच्छा सूत्र १३२ श्लो० २४ वे में भी यही लिखा है। मशाला के द्वारपाल का नाम--- द्वारदर्थे चतुर्थाशे द्वारपालो विधियते । . स्तम्भ शाखादिकं शेष त्रिशाखा च विभाजयेत् ।।६।। इति निशाखमानम् । .. द्वार के उदय का चार भाग करके एक भाग के उदय में द्वारपाल बनावें और बाकी तीन भाग के उदय में स्तंभ और शाखा आदि बनावें ॥६२॥ .
SR No.090379
Book TitlePrasad Mandan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansagar Vagarth Vimarsh Kendra Byavar
PublisherGyansagar Vagarth Vimarsh Kendra Byavar
Publication Year
Total Pages277
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Art
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy