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________________ गंग-कदम्ब-पल्लव-चालुक्य मैसूर का गंगवंश S वर्तमान कर्णाटक (मैसूर) राज्य के अधिकांश भाग तथा काबेरी नदी की पूर्ण घाटी मैं विस्तृत गंगवाड रात्र्य और दर्शन्त अविच्छिन्न शासन करनेवाले राजाओं का वंश पश्चिमी गंगवंश कहलाता है। इस राज्यवंश के साथ प्रारम्भ से लेकर अन्त पर्यन्त जैनधर्म का अत्यन्त निकट सम्बन्ध रहा है और उसमें अनेक प्रतापी एवं धर्मात्मा जैन नरेश हुए हैं। सम्भवतया यह उनकी नीति परायणता एवं धार्मिकता का ही परिणाम था कि जितना दीर्घजीवी यह राज्यवंश रहा, राजनीतिक इतिहास में अन्य कोई शायद ही रहा । वंश - संस्थापक दद्दिग और माधव - शिलालेखों, ताम्रपत्रों आदि में निबद्ध इस वंश की परम्परा- अनुश्रुतियों के अनुसार इस वंश के मूल संस्थापक दक्षिण और माधव नाम के दो राजकुमार थे। भगवान् ऋषभदेव के इक्ष्वाकु वंश में अयोध्या के एक राजा हरिश्चन्द्र थे, जिनके पुत्र भरत की पत्नी विजय महादेवी से गंगदत्त का जन्म हुआ। उसी के नाम से कर्णाटक का उक्त वंश जाहवेय, गांगेय या गंगवंश कहलाया। गंग का एक वंशज विष्णुगुप्त, अहिच्छत्रा का राजा हुआ जो तीर्थकर अरिष्टनेमि का भक्त था। उसका वंशज श्रीदत्त भगवान् पार्श्वनाथ का अनन्य भक्त था। उसके वंश में कम्प का पुत्र पद्मनाभ अहिच्छत्रा का राजा हुआ। उसके राज्य पर जब उज्जयिनी के राजा ने आक्रमण किया जो राजा पद्मनाभ ने अपने दो बालक पुत्रों, दद्दिग और माधव को कतिपय राजचिह्नों सहित दूर विदेश में भेज दिया। प्रवास में ये राजकुमार धीरे-धीरे बड़े हुए और घूमते-घामते कर्णाटक देश के पेरूर नामक स्थान में पहुँचे। नगर के बाहर स्थित जिनालय में जब राजकुमार भगवान् के दर्शन-पूजन के लिए गये तो उन्हें वहाँ मुनिराज सिंहनन्दि के दर्शन हुए। गुरुचरणों में उन्होंने नमस्कार किया तो आचार्य ने उन्हें आशीर्वाद दिया और सुलक्षण एवं होनहार देखकर उनका विगत वृत्तान्त पूछा। उनके बल पराकम की परीक्षा करने के लिए उन्हें आदेश दिया कि तलवार के एक ही बार से सम्मुख खड़े शिलास्तम्भ को भग्न कर दें। राजकुमार परीक्षा में उत्तीर्ण हुए। आचार्य ने अपने निकट रखकर उन्हें NB :: प्रमुख ऐतिहासिक जैन पुरुष और महिलाएँ
SR No.090378
Book TitlePramukh Aetihasik Jain Purush aur Mahilaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJyoti Prasad Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages393
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size9 MB
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