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________________ लोहे के व्यापारी दल के पुत्र वाधर को पुत्रवधू और फल्गुदेव की धर्मपत्नी मिस के दान का, साधवाहिनी (आयात-निर्यात के व्यापारी एक सार्थवाह की पली) धोमा के दान का, जम्भक की पतोहू और अयभट्ट की कुटुम्बिनी (गृहिणी) गिनि (टैंगरेजिन) बसुया के दाम का, नवस्ति की पुत्री, ग्रहसेन की पुत्रवधू तथा शिवसेना, देवसेन और शिक्वेव की माता जया द्वारा वर्धमान-प्रतिमा की प्रतिष्ठा का, ब्रहस्ति की प्रिय पुत्री बोधिनन्दिनी नामक सम्पन्न गृहिणी द्वारा एक अन्य वर्धमान-प्रतिमा की प्रतिष्ठा का, बुद्धिल की पुत्री और देविल की कुटुम्बिनी गृहश्री के दान का, तनन्दि की पुत्री, अद्धि की पत्नी और गन्धिक की माता जितामित्रा द्वारा सर्वतोमष्ट्र प्रतिमा के दान का, कुमारभित्रा के पुत्र मन्धिक (इन्तेल के व्यापारी) कुमारमट्टि द्वारा वर्धमान-प्रतिमा की प्रतिष्ठा का, देयपुत्र-महाराज हुयिष्क के राज्य में सं. 99 (सन् 18 ई.) में शिवदास सेठ के सपत्र आर्य श्रेण्टि रुद्रदास द्वारा अर्हतों की पूजार्थ मान्दी-विशाल (गजस्तम्भ) के निर्माण एवं प्रतिष्ठा कराने का, उसके अगले वर्ष ग्रामप्रमुख जयदेव की पुत्रवधू और ग्रामप्रमुख (ग्रामिक) जयनाग की धर्मपत्नी सिंहदत्ता द्वारा एक पाषाण-स्तम्भ (मानस्तम्भ) की स्थापना का, श्रायक पुष्य की पत्तोस, गृहदत्त की गृहिणी और पुष्पदत्त की माता का दान, बुद्धि की पतोह और धर्मबुद्धि की भार्या का शान, अधिकर्ण चैत्यालय के पुजारी (था व्यासमाली) का दान, सद्धदत्त की पूत्री तथा पुष्पबुद्धि की भार्या का दान, बुबु की पुत्री, राज्यवसु की धर्मपत्नी, देखिल की पाता और विष्णभव की पितामही (दादी) विजयश्री द्वारा वर्धमान प्रतिमा का दान, जो उसने एक मास के उपवासपूर्वक किया था-सम्भवतया उक्त उपचास के उद्यापन के रूप में, गोष्ठिक निगम के अध्यक्ष) लोहिककारक (लोहार) श्रमणक के पुत्र श्रावक शूर का दान, आचार्य नागहस्तिगणि के शिष्य आर्यदेव-वाचक के उपदेश से सिंह के पुत्र गोपनामा लोहियकारक द्वारा एक सरस्वती-प्रतिमा को प्रतिष्ठापना का (संवत् 54 - सन इंस: 132 में), आर्यावर्त के निवासी पसक या प्रवरक को कुम्बिनी दत्ता द्वारा महाभीमताय' (महा सुख के अर्थ) भगवान् ऋषभदेव के मन्दिर के लिए किया गया दान, श्राविका दत्ता द्वारा देवनिर्मित प्राचीन देव स्तूप पर अहंत मुनिसुव्रत की प्रतिमा की प्रतिष्ठापना, सेन की पुत्री, दत्त की पुत्रवधू, गन्धिक की कुटुम्बिनी जिनदासी द्वारा एक जिन-प्रतिमा का पवित्र दान, हरण्यक (स्वकार या सर्राफ) देव की पुत्री द्वारा वर्धमान-प्रतिमा की प्रतिष्ठा, ग्रहदल की पुत्री और धनहस्ति की पानी का दान, प्रवरक की पुत्री और गन्धिक वरुण की पतोहू तथा मित्र की पत्नी आर्य महिला क्षेमा का दान, वणिक (व्यापारी) सिंहक और कौशिकी (मों) के पुत्र सिंहमन्दिक सारा अर्हन्तों की पूजार्थ एक आयागपट का दान, शिवघोष की भार्या का दान, मलहाण की पुत्री और भद्रपश की पुत्रवधू तथा भद्रनन्दि की भार्या अचल द्वारा आयामपट का लान, कल की पुत्री और सिंहविष्णु की बहन द्वारा घर्धपान-प्रतिमा की प्रतिष्ठापना, दास के पुत्र बीरि सारयल-विधाम चुप ::43
SR No.090378
Book TitlePramukh Aetihasik Jain Purush aur Mahilaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJyoti Prasad Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages393
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size9 MB
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