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रानी उर्विला
मौर्ययुग के अन्त के लगभग मथुरा में पूतिमुख मामक राजा राज्य करता था। उसकी एक पत्नी बौद्ध धी और दूसरी जैन, जिसका नाम उविला था। जविला घट्टरानी थी, किन्तु राजा बौद्ध सनी के प्रभाव में अधिक था। उस समय पधुरा के देवनिर्मित प्राचीन जैन स्तूप के अधिकार को लेकर बौद्धों और जैनों में विवाद हुआ और बौद्ध रानी की सहायता से बौद्धों ने स्तूप पर अधिकार कर लिया था। महारानी उर्विला ने दूर-दूर से विद्वानों को बुलाया, शास्त्रार्थ कराया और अथक प्रयत्न करके यह सिद्ध करवा दिया कि स्तूप जैनों का ही है। उसने स्तूप पर जैनों का पुनः अधिकार कराया
और बड़े समारोह के साथ नगर में जिनेन्द्र का रथ निकलवाया। तभी इस धर्मात्मा रानी ने अन्न-जल ग्रहण किया।
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महाराज आषासन
__ मौयों के अस्तकाल में उत्तरपांचाल जनपद की राजधानी अहिच्छत्रा में शौनकावन नामक राजा ने अपनी स्वतन्त्र सत्ता स्थापित कर ली थी। प्रायः उसी काल में वत्स की राजधानी कौशाम्बी में एवं शूरसेन की राजधानी मथुरा में भी स्थतन्त्र राज्य-सनाएँ उदय में आ गयी थीं। इन तीनों राज्यवंशों में परस्पर निकट सम्बन्ध भी थे और यह सभी जैनधर्म के अनुवायी अथवा प्रश्रयदाता रहे प्रतीत होसे हैं। संयोग से ये तीनों ही राजधानियाँ जैन परम्परा की पुण्यभूपियाँ भी थीं, जिनमें अहिच्छत्रा तो तेईसवें तीर्थकर पार्श्वनाथ की तप एवं केवलज्ञान भूमि थी । उक्त राजा शौनकायन का पुत्र सजा बंगपाल था, जिसकी रानी त्रैवर्ण राजकन्या थी, अतएव तेवणी कहलाती थी। राजा बंगपाल और तेवणी रानी का पुत्र राजा भागवत था, जिसकी पत्नी वैहिंदर राजकुमारी थी। इस हिदरी रानी से उत्पन्न राजा भागवत का पुत्र आषाढ़सेन था। उस समय कौशाम्बी में आषादसेन की बहन गोपाली का पुत्र बृहस्पतिमित्र राजा था। महाराज आषादसेन ने अपने राज्य के दसवें वर्ष में अपने भानजे की राजधानी कौशाम्बी के निकटस्थ जैमतीचं पभोसा. (प्रभासगिरि) के ऊपर काश्यपीय अरहन्तों (जैन मुनियों) के लिए गुफा निर्माण करायी थी। पभोसा छठे तीर्थकर पद्मप्रभु का तप एवं केथललान प्राप्ति का स्थान है। वहाँ की उक्त प्राचीन गुफा में उक्त महाराज आषाढ़सेन के दो शिलालेख अंकित हैं तथा कतिपय प्राचीन आयागपट्टों, मूर्तियों आदि के अन्य जैन अवशेष मिले हैं। वीर विक्रमादित्य
युनानी सम्राट सिकन्दर महान् के आक्रमण ने उत्तरी सिन्ध और पंजाब के जिम गणतन्त्रों को छिन्न-भिन्न कर दिया था, उनमें एक मल्लोई या मालवगण था। 74 :: प्रमुख ऐतिहासिक जैन पुरुष और महिलाएँ