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________________ जाती है। अपनी दार्शनिकता एवं पवित्र विचारों के लिए वह रोमन सम्राटू मारकर ओरेलियस का स्मरण दिलाता है तो साम्राज्य विस्तार एवं शासन प्रणाली की दष्टि से भालमन का। उसकी सीधी सरल पुनरुक्तियों से पूर्ण प्रज्ञप्तियों में कामवेल की शैली ध्वनित होती है तो अन्य अनेक बातों में वह खलीफा उमर और अकबर महान की याद दिलाता है। विश्व के सर्वकालीन महान् नरेन्द्रों की कोटि में इस प्रकार परिगणित यह भारतीय सम्राट्, चाहे वह अशोक हो या सम्प्रति, अथवा दादा-पोते दोनों ही संयुक्त या समानरूप से हों, भारतीय इतिहास के गौरव हैं और रहेंगे। जैनधर्म के साथ उन दोनों का ही निकट एवं घनिष्ठ सम्बन्ध था, और यदि हम सम्प्रति को जीवन-भर जैनधर्म का परम उत्साही भक्त रहा पाते हैं, तो अशोक को भी सर्वथा अजैन तो कह ही नहीं सकते। जैन अनुश्रुलियों के अनुसार सम्राट सम्प्रति का शासनकाल पचास वर्ष रहा। तिब्बती तारानाथ 54 वर्ष यताता है। ऐसा लगता है कि उसने लगभग चालीस वर्ष स्वतन्त्र शासन किया और लगभग दस वर्ष पितामह तथा पिता के शासन में योग दिया था 1 ई. पू. 190 के लगभग साधिके साठे घर्ष की आयु में इस धर्मात्मा नरेश का देहान्त हो गया। शालिशुक मौर्य सम्प्रति का ज्येष्ठ पुत्र शालिशुक उज्जयिनी में सम्प्रति का उत्तराधिकारी हुआ। वह भी अपने पिता एवं अधिकांश पूर्वजों की भाँति जैनधर्म का अनुयायी था। उसने भी दूर-दूर तक जैनधर्म का प्रचार किया, बताया जाता है। वह पराक्रमी भी था। सौराष्ट्र एवं गुजरात प्रदेश सम्भयतया विद्रोही हो गया था। उसने उसे पुनः विजित किया। इसका शासन अपेक्षाकृत अल्पकालीन ही था। उसके पश्चात् आनेवाले नरेशी, वृषसेन, पुष्पधर्मन आदि और भी अल्पकालीन रहे। ई. पू. 164 के लगभग उज्जयिनी में 148 वर्ष शासन करने के उपरान्त वहाँ मौर्य वंश और मौयों के अधिकार का अन्त हुआ। मगध में उसके लगभग बीस वर्ष पूर्व ही दशरथ मौर्य के अन्तिम वंशज की हत्या करके उसका ब्राह्मण मन्त्री सुष्यमित्र शुंग राज्य हस्तगत कर चुका था। शुंगों की यह राज्यक्रान्ति ब्राह्मण-धर्म पुनरुद्धार की सूचक एवं प्रबल पोषक थी। इसके पश्चात् उत्तर भारत में जैनधर्म को सम्भवतया फिर कभी इसके पूर्व-जैसा राम्चाश्य प्राप्त नहीं हुआ। 66 :: प्रमुख ऐतिहासिक जैन पुरुष और महिलाएँ
SR No.090378
Book TitlePramukh Aetihasik Jain Purush aur Mahilaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJyoti Prasad Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages393
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size9 MB
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