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________________ मध्यकाल : पूर्वार्ध (लगभग 1200-1550 ई.) गजनी के सुल्तान मुहम्मद गोरी द्वारा 1292 ई. में पृथ्वीराज चौहान के और अगले वर्ष जयचन्द गहड़वाल के पूर्णतया पराजित कर दिये जाने के परिणामस्वरूप दिल्ली, अजमेर और कन्नौज पर तुकों का अधिकार हो गया और कुछ वर्षों के भीतर दिल्ली को केन्द्र बनाकर पंजाब से लेकर बिहार-बंगाल पर्यन्त बहुभाग उत्तर भारत पर तुको का शासन स्थापित हो गया। अगले लगभग डेढ़ सौ वर्ष पर्यन्त दिल्ली के सुल्तान ही उत्तर भारत तथा बहुभाग दक्षिण भी शिर भुसाललमान तिवायाध इस बीच गोरी, गुलाम, खिलजी और तुरालुक नाम के चार वंश परिवर्तन हुए। तदुपरान्त दिल्ली सल्तनत के मालवा, गुजरात, बंगाल, जौनपुर, बहमनी आदि प्रान्तों के सूबेदारों ने अपनी स्वतन्त्र सत्ताएँ स्थापित कर ली और एक के स्थान में कई मुसलमानी सल्तनते देश में फैल गयीं। साथ ही चन्दवाड़, ग्वालियर, मेवाड़, विजयनगर आदि की कई शक्तिशाली हिन्दू राज्य शक्तियाँ भी उदित हुई। यह स्थिति 16बों शती ई. के मध्य के कुछ बाद लक चली। उपर्युक्त तुर्क सुल्तानों द्वारा अधिकृत एवं शासित प्रदेशों में भारतीय धर्मों और उनके अनुयायियों को शोचनीय स्थिति थी। प्रत्येक व्यक्ति या वर्ग के लिए अपने जान, माल, इम्मत, धर्म और संस्कृति की रक्षा का प्रश्न सतत और सर्वोपरि था। इन विदेशी, विधमी, अत्याचारी, निरंकुश शासकों में धार्मिक सहिष्णुता का प्रायः अभाव था। फिर भी यदि हिन्दू, जैन आदि भारतीय जन और उनके साथ उनका धर्म और संस्कृति बचे रहे तो इसलिए कि उन्हें सर्वथा समाप्त कर देना वा मुसलमान बना डालना इन शासकों के लिए भी अशक्यानुष्ठान था। दूसरे उनके राजनीतिक और आर्थिक हित में भी नहीं था। अतएव दिल्ली आदि के मुसलमान सुल्तानों द्वारा शासित प्रदेश में होनेवाले उल्लेखनीय जैनों की और उनके द्वारा किये जानेवाले प्रभावक धर्म-कार्यों की संख्या अत्यल्प है। तथापि कतिपय ऐसे महाभाग उस काल एवं उक्त प्रदेशों में भी हुए हैं जिन्होंने अपनी प्रतिभा, योग्यता एवं प्रभाव से प्रतिष्ठा प्राप्त की और जो सुल्तानों मास सम्मानित हुए अक्षया जिन्होंने अपने प्रभावक धर्मकार्यों द्वारा अपनी धर्मप्राणता का परिचय दिया। मध्यकाल : पूर्वाध :: 259
SR No.090378
Book TitlePramukh Aetihasik Jain Purush aur Mahilaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJyoti Prasad Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages393
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size9 MB
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