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परामर्शक शान्तिनाथ, नाग और मल्लिकार्जुन थे। यह मल्लिकार्जुन लक्ष्मीदेव के गाया से भिन्नं, ताम्मासिग-वंशीय महादेव नायक का पुत्र, गौरी का पति और केशिराज का पिता था । यह परिवार लिंगायत मतानुयायी था। लेरहवीं शताब्दी के मध्य के लगभग सौन्दन्ति का रवंश समाप्त-प्राय हो गया। कोंकण के शिलाहार राजे
पश्चिमी दक्षिणापथ के कोंकण प्रदेश में I शती ई. में कई शिलाहार (सेलार, सिलार) वंशी सामन्त घरानों का उदय हुआ। ये विद्याधरवंशी क्षत्रिय थे और स्वयं को पौराणिक वीर जीमूतवाहन की सन्तति में हुआ मानते थे। इनका मूलस्थान तगरपुर (पैठन से 35 मील दूर स्थित तेर) था, अतः अपने नाम के साथ तगरपुरयराधीशनर उपाधि प्रयुक्त करते थे।
रहराज-शिलाहार-शिलाहारों की एक शाखा बलिपट्टन (बलबडे) दुर्ग में . शासन करती थी और उसमें 1008-1010 ई. में धम्पियर का वंशज और इन्द्रराज का पुत्र एवं उत्तराधिकारी रट्टराणे तिलार पोलुखों के ATTENT प्रा बड़ा वीर, पराक्रमी और प्रतापी था और जैनधर्म का अनुयायी था। उसका सन्धिविनाहिक मन्त्री 'महाश्री देवपाल था। रहराज ने अपनी वंशावली धम्मिघर के प्रपितामह सिलार से प्रारम्भ की है और वह स्वयं धम्मियर की सातवीं पीढ़ी में उत्पन्न हुआ था। सिलार के पौत्र, सिंहल के पुत्र और धम्मियर के पिता सणफुल्ल को कृष्णराज का कृपापात्र बताया गया है, अतएव राष्ट्रकूट कृष्ण प्रथम ने दक्षिणी कोंकण की विजय करके अपने जिस शिलाहार सामन्त को उस प्रदेश का शासक नियुक्त किया था, वह यही प्रतीत होता है।
रट्टराज के साथ ही सम्भवतया यह शाखा समाप्त हो गयी अथवा उस दूसरी शाखा में विलीन हो गयी जो पानी शती के प्रारम्भ में चालुक्यों के सामन्तों के रूप में उदित हो रही थी। इस दूसरी शाखा की प्रारम्भिक राजधानी करहाटक (करहद) थी और तदनन्तर यह शुल्लकपुर (कोल्हापुर) में स्थायी हुई। बलिपट्टन (बलधडे), करहद और कोल्हापुर के अतिरिक्त पन्हाला (पद्यालय) दुर्ग भी उनका एक प्रमुख गढ़ था, किन्तु प्रधान राजधानी कोल्हापुर ही थी, जिनके अपानाम कोल्लपुर, कोरल्लगिरि, क्षुल्लकपुर और पद्यालय थे। इस नगर की प्राचीन अधिष्ठात्री पशावतीदेवी को ही, जो महालक्ष्मी के नाम से भी प्रसिद्ध हो चली थी, शिलाहारों ने अपनी इष्टदेवी एवं कुलदेवी बनाया 1 इत शाखा का प्रथम ज्ञात राजा जतिग प्रथम था जो 10वीं शती ई. के मध्य के लगभग साट्रकूट सम्राट् कृष्ण तृतीय का सामन्त था । उत्तका पुत्र ननिवर्मन और पौत्र चन्द्र था। चन्द्र का पुत्र जलिग द्वितीय (लगभग 10000-1020 ई.) कल्याणी के चालुक्यों का प्रसिद्ध सामन्त और अपने वंश की प्रतिष्ठा का संस्थापक था। गोंक, गुवल, कीर्तिराज और चन्द्रादित्य भार के उसके
198 :: प्रमुख ऐतिहासिक जैन पुरुष और महिलाएं