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सौन्दति के रट्ट-राजे
राष्ट्रकूटों की ही किसी शाखा से मूलतः उत्पन्न रबाड़ी के शासक रह-राजाओं का राष्ट्रकूट सम्राटों के रुपये हुआ गति (सौन्यति उनकी राजधानी थी। इस वंश में प्रारम्भ से अन्त पर्यन्त जैनधर्म की प्रवृत्ति रही । पृथ्वीराम रद्द -- रवंश में सर्वप्रथम प्रसिद्ध नाम पृथ्वीराम का है जो मैलापतीर्थ के कारण के गुणकीर्ति मुनि के शिष्य इन्द्रकीर्तिस्वामी का छात्र ( विद्याशिष्य) था और सत्यनिष्ठ मेरs ( या मेचङ) का ज्येष्ठ पुत्र था। राष्ट्रकूट अमोघवर्ष प्रथम के समय उसका अभ्युदय हुआ और राष्ट्रकूट कृष्णराज द्वितीय के समय तक वह समधिगतपंच-महाशब्द- महासामन्त हो गया था और उस सम्राट् का दाहिना हाथ बन गया था। इस रट्टराज ने 876 ई. में अपने स्वस्थान सुगन्धवर्ति में एक जिनेन्द्रभवन का निर्माण कराया था और उसके लिए अठारह निवर्तन भूमि का सर्वनमस्य दान दिया था। तत्सम्बन्धी शिलालेख में पृथ्वीराम को कृष्ण राज का पादपद्मोपजीवी सेवक, महासामन्त, भृत्य-चिन्तामणि, सुभटचूड़ामणि, वीरलक्ष्मीकान्त, विरोधिसामन्त- नवज्रदण्ड विद्वज्जन- कमलमार्तण्ड आदि कहा गया है। उसका पुत्र एवं उत्तराधिकारी वल्लराज था ।
पतवर्म - पृथ्वीराम का पौत्र और चत्सराज का पुत्र एवं उत्तराधिकारी था। यह बड़ा वीर और पराक्रमी था। अजवर्षा नामक शत्रु राजा को युद्ध में पराजित करके उसने कीर्ति प्राप्त की थी। इस पिट्टग अपरनाम पतवर्म ने रह-पट्ट- जिनालय बनवाया था, जिनेन्द्र का पूजोत्सव किया था और दीपावली पर्व को अपनी राजधानी में सोल्लास मनाया था। उसकी ज्येष्ठ रानी रूपवती, सुशीला, पतिभक्त एवं धर्मात्मा नीजिकब्वे थी जो अरुन्धती के समान थी। उनका पुत्र शान्तिवर्मन था ।
शान्तिवर्म -- पतवर्म (पिग) का पुत्र एवं उत्तराधिकारी शान्तनृप या शान्तिवर्मरस जिनभक्त, विजेता, गुणगणालंकार, मार्ग का निर्णय करनेवाला, तत्व-विचार-निपुण, गमक, चतुविधदान-सत्पर, बीर एवं धर्मात्मा राजा था। उसकी ज्येष्ठ रानी का नाम वन्दि था। शान्तवर्म और उसकी जननी कारगण के बाहुबलि भट्टारक के गृहस्थ-शिष्य थे। इस राजा ने सौन्दति में एक जिनालय बनवाकर उसके लिए स्वगुरु को 981 ई. में 150 मतर भूमि का दान दिया था। उतना ही दान उक्त जिनालय के लिए उसकी जननी नीजिकच्चे ने भी दिया था। शान्तनुप की रानी चन्दिकले भी ast धर्मात्मा थी और उक्त धर्मकार्यों में उतका सहयोग था। यह राजा कल्याणी के प्रथम चालुक्य सम्राट् तैलदेव का महासामन्त था ।
शान्तनूप का पुत्र नन्नभूष था जिसका पुत्र प्रतापी कार्तवीर्य (प्रथम) चालुक्य आहवमल्ल का पाद-पद्मोपसेवक था और कुहुण्डिदेश का शासक था। उसका अनूज कन्नमहीपति था, जिसके पुत्र वाया और परम थे। वाचा की अग्रमहिषी मैललादेवी
[fi प्रमुख ऐतिहासिक पुरुष और महिलाएं