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________________ पूर्व मध्यकालीन दक्षिण के उपराज्य एवं सामन्त वंश : 43 उत्तरवर्ती गंगराजे बर्मदेव- पेनिडि भुजबलगंग-गंगवंश के उत्तरवर्ती समाओं में रक्कसगंग द्वितीय का भतीजा और कलियंग का पुत्र बर्मदेव अधिक प्रसिद्ध हुआ। उसकी सनी गंग-महादेवी भी यशस्वी महिला-पुत्ल थी। ये दोनों राजा-रानी मलूसंघकाणूरगणमेषपाषाण के प्रभाचन्द्र सिंद्धान्तिदेव के गहस्थ-शिष्य थे। बम्मदव महामण्डलेश्वर कहलाते थे। उनके धार पुत्र थे-मारसिंग, सत्य (नन्निय) गांध, रक्कसगंग और भुजबलगंग तथा पौत्र मार्गसिंहदेव-मलियगंग था। बम्पदिक ने 1054 ई. के लगभग गंगों के प्राचीन मण्डलि-तीर्थ की पट्टद-बसदि की, जो पहले लकड़ी की बनी थी, पाषाण में निर्मित कराकर उसके लिए हलियरे ग्राम का दान दिया और अपने द्वास शासित नाई (प्रान्त) के गाँवों में कुलदेवी पावती को पाँच पण की शाश्वत पेंट दी। रानी गंगमहादेवी पाण्यकुल में उत्पन्न हुई थी और रलय-धर्म की आराधिका थी। बदिव का छोटा भाई मोविन्दर था। जब गंग-पेम्माडिदेव (बर्मदेव) अपने उक्त भाई ६ अन्य परिवार के साथ सुख से राज्य कर रहा था तो 1079 ई. में उसने तहकरे नामक स्थान में आकर उस प्रदेश का पूरा शासन-भार अपने धर्मात्मा सामन्त नोकय्य को सौंप दिया और उसके धर्म-कार्यों में प्रोत्साहन दिया था। स्वयं वह मंगनरेश इस काल में चालुक्य सम्राटों का महासामन्त था। उसने (या उसके पुत्र में) धर्मात्मा केतच्चे के पुत्र बिडिदेच, बम्ममावुण्ट और नालप्रभु के साथ 1110 ई. में मनिचन्द्र-सिद्धान्ति को दान दिया था। सामन्त नोक्कय्य-गुणवान् पोलेयम्प की पत्नी रमणीरत्न केलेयब्बे से उनका कुलदीपक सुपुत्र पौडे-नोक्कय्य हुआ। उसका विवाह मण्डलि के चमावण्ड की पुत्रियों कालेपये और मल्लियब्वे के साथ हुआ था। पहली रानी से गुजण नाम का पुत्र हुआ था जो पेम्मादि-गायुषड के नाम से विख्यात हुआ। दूसरी पत्नी से जिनदास नामक पुत्र उत्पन्न हुआ। जब नोक्कय्य अपने दोनों पुत्रों के साथ सुख से रह रहा था तो 1079 ई. में उसके स्वामी संगपेमाडिदेव (बम्मदिव-भुजवलगंग) ने तहकरे आकर वहाँ का समस्त शासन-भार नोक्कय्य को सौंप दिया। नोक्कय्य ने तहको में एक जिनमन्दिर शनवाया और एक विशाल सरोबर खुदयाया। उसने और भी कई पूर्व मध्यकालीन दक्षिण के उपराज्य एवं सामन्त वंश :: 185
SR No.090378
Book TitlePramukh Aetihasik Jain Purush aur Mahilaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJyoti Prasad Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages393
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size9 MB
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