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________________ * प्रियोदय हिन्दी व्याख्या सहित [ ४६ +000000000000000000rstoreservesaretreensorrorosorrtoonseroineeroen तत्पश्चात् प्रथम रूप में सूत्र-सख्या ३-२८ से प्रथमा विभक्ति के बहुवचन में संस्कृतीय प्रत्यय 'ज' के स्थानीय रूप 'अम्' के स्थान पर प्राकृत में 'या' बादश रूप प्रत्यय को प्राप्ति होकर प्रथम रूप 'गोरी' सिद्ध हो जाता है। द्वितीय अप-गौर्यः = गोरीश्रो में सूत्र-संख्या ३-२७ से प्रथमा विभक्ति के बहु वचन में संग्कृतीय प्रत्यय 'जस' के स्थानीय रूप 'अस' के स्थान पर वैकल्पिक रूप से 'ओ' आदेश रूप प्रत्यय को प्राप्ति होकर द्वितीय रूप गोरओि सिद्ध हो जाता है। गौरी:-संस्कृत द्वितीयान्त बहुवचन रूप है। इसके प्राकृत रूप गोरीआ और गोरीयो होते हैं। इन दोनों द्वितीयान्त बहुवचन वाले रूपों की मिद्धि नपरोक्त प्रथमान्त बहुवचन वाले रूपों के समान हो होकर क्रम से दानों रूप गोरीआ तथा गोरोश्रो सिद्ध हो जाते हैं। चिट्ठन्ति रूप की सिद्धि सूत्र संख्या-30 में की गई है। पेच्छ रूप को सिद्धि सूत्र संख्या १-73 में की गई है। 'या' (यव्यय ) रूप की सिद्धि सूत्र संख्या १-६७ में की गई है। ३-२८ ।। टा-स्-ङरदादिदेवा तु ङसेः ॥ ३-२६॥ स्त्रियां वर्तमानान्नाम्नः परेषां टाङसङीनां स्थाने प्रत्येकम् अत् श्रात् इत् एत् इत्येते चत्वार आदेशाः सप्रारदीर्घा भवन्ति । सेः पुनरेसमाग्दीर्घा वा भवन्ति ।। मुद्धाम । मुद्धाइ । मुद्धाए कय मुहं ठिअं वा ।। कप्रत्यये तु मुद्धिाअ । मुद्धिाइ ! मुद्धिआए ॥ कमलिआश्र । कमलिआइ। कमलिपाए ।। बुद्धीन । बुद्धी प्रा । बुध्दीह। घुध्दीए कयं विहवो ठिअं वा , सही। सहीश्रा । सहीह । महीए कयं वयणं ठियं वा ॥ घेणु । धेमा । घेण्इ। धेणुए कयं दुद्धं ठिअं वा ॥ वहू । वहा। वहइ 1 1 बहूए कयं भवणं ठिअंवा ।। सेस्तु वा । मुद्धाम। मुदाइ । मुदाए । बुध्दीम । बुध्दीमा । बुध्दीइ । बुध्दीए । सहीभ । सहीमा । सहीइ । सहीए ॥ घेण्अ घेणुा । घेणूइ । घेणुए ॥ वहश्र । वहा । बहूइ । वहुए आगो । पक्षे ।। मुद्धामो । मुदाउ। मुहाहिन्तो। ईओ । रईउ । ईहिन्तो ||घेणयो। घेणउ । धेहिन्तो ॥ इत्यादि ॥ शेषे दन्तवत् (३.१२४) अतिदेशात् जस्-शस् डसि-चो-दो-द्वामिदीर्घः (३-१२) इति दीर्घत्वं पचं पि भवति ॥ स्त्रियामित्येव । पच्छेण । यच्छरस । वच्छम्मि । पच्छाओ । टादीनामिनि किम् । मुद्धा । बुद्धी । सही । घेणु । वह ।।
SR No.090367
Book TitlePrakrit Vyakaranam Part 2
Original Sutra AuthorHemchandracharya
AuthorRatanlal Sanghvi
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages678
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size18 MB
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