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________________ * प्रियोदय हिन्दी व्याख्या सहित * [ ३४७ ari और अम्बं रूपों की सिद्धि सूत्र संख्या १-९४ में की गई हैं। अम्बिर और तम्बर रूप देशज हैं; तदनुसार देशज शब्दों की साधनिका प्राकृत भाषा के नियमों के अनुसार नहीं की जा सकती है । ।। २०५६ ।। **** ह्रो भो वा ।। २-५७ ॥ ह्रस्य भो वा भवति ॥ जिम्भा जीहा ॥ अर्थ:-- यदि किसी संस्कृत शब्द में ह्र' हो तो इस संयुक्त व्यञ्जन 'ह' के स्थान पर विकल्प से 'भ' की प्राप्ति होती है । जैसे:-जिह्ना जिम्मा अथवा जीहा || जिल्ला संस्कृत रूप हैं | इसके प्राकृत रूप जिम्मा और जीहा होते हैं। इनमें से प्रथम रूप में सूत्र संख्या २-५७ से संयुक्त व्यञ्जन 'ह्र' के स्थान पर विकल्प से 'भ' की प्राप्तिः २६ से प्राप्त 'भ' को वि 'भूभ' की प्राप्ति और २-६० से प्राप्त पूर्व' 'भू' को 'च' की प्राप्ति होकर प्रथम रूप जिल्ला मिद्ध हो जाता है । द्वितीय रूप में सूत्र संख्या २०१२ से ह्रस्व स्वर 'ए' को दीर्घ स्वर 'ई' की प्राप्ति और २७६ से 'घू' का लोप होकर जीहा रूप सिद्ध हो जाता है ।। २-५७ ।। वाविले व वश्च ॥ २-५८ ॥ चिले स्वभवा भवति । तत्संनियोगे च विशब्दे वस्य वा भो भवति ।। भिब्भलो विन्भलो विलो || अर्थ:- संस्कृत विज्ञल शब्द में रहे हुए संयुक्त व्यञ्जन 'ह' के स्थान पर 'भ' की प्राप्ति विकल्प से होती है। इसी प्रकार से जिस रूप में ह्र' के स्थान पर 'भ' की प्राप्ति होगी; तब आदि वर्ण 'वि' में स्थित 'व' के स्थान पर विकल्प से भ' की प्राप्ति होती है। जैसे-विह्नलः = भिम्भलो अथवा विम्भल और विहलो । चिल : संस्कृत विशेषण रूप है। इसके प्राकृत रूप भिध्भलो; विष्भलो और बिलों होते हैं । इनमें से प्रथम रूप में सूत्र संख्या २०५८ से संयुक्त 'ह' के स्थान पर विकल्प से 'भ' की प्राप्ति २-८६ से प्राप्त 'भ' को द्वित्व 'भूभ' की प्राप्ति २-६० से प्राप्त, पूर्व 'भू' को 'ब' को प्राप्ति; २-५८ की वृत्ति से श्रादि में स्थित 'बि' के 'व' को आगे 'भ' की उपस्थिति होने के कारण से विकल्प से 'भ' की प्राप्ति और ३-२ से प्रथमा विभक्ति के एक वचन में अकारांत पुल्लिंग में 'सि' प्रत्यय के स्थान पर 'ओ' प्रत्यय की प्राप्ति होकर प्रथम रूप भलो सिद्ध हो जाता है । द्वितीय रूप में २-५८ की वृत्ति से वैकल्पिक पक्ष होने के कारण आदि व 'षि' को 'भि' को
SR No.090366
Book TitlePrakrit Vyakaranam Part 1
Original Sutra AuthorHemchandracharya
AuthorRatanlal Sanghvi
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages610
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size17 MB
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