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बाभणु ठवहुक घोडौ हइ आपणउ, नजिउं समुद बालुका ताउ । निसुणिउ भान कुम्वर को नाउ, तउ तुरंगु आणिउ तिहि ठाइ।३२७।। भान कुवर मन उपनो भाउ, बहुतु विप्र कहु कियउ पसाउ । निसुरिण विप्र हउ अखएहु, जो मागइ सो तोकहु देउ ॥३२८॥ तवहि विघु मागइ सतिभाइ, भानकुबर के मनु न सुहाइ । बिलखउ भानकुवर मन भयउ, मान भंगु इहि मेरउ कियउ।३२६। भणइ विग्रही प्राखउ तोहि, इननउ जे न सकहि दइ मोहि । मइ तो कहुदीनउ सतभाइ, परिहा जउ देखाहि दौडाइ ॥३३०॥
___ भानुकुमार का घोड़े पर चढना निमुगिग वयगु कुवर मन रल्यउ, कोपारूहु तुरंगइ चढिउ । विषमु तुरंगु न सकउ सहारि, घोड़े घाल्यो भानु अखारि ॥३३१॥
(३२७) १. संभण चिरस कहइ प्रापण उ (क) वाभव गवड कहइ प्रापरणउ (ख) वंभरण नाउ कहइ प्रापसा (ग) २. तेजी एह (क ग) ते जिउ (ख) ३. रण समवह तराज (क) समुदह तगा (ग)
(३२८) १. वहु (ग) २. बहुति (क) बहतु (ग) ३. निसुण (ख) ४. इस करेउ (ग) अखो तोहि (क) प्राख तोहि (ख) ५. सो प्रायो (क) तुझ जोगी (ग)
(३२९) १. मनह (ख) २. सनाहि (ग) ३. बबन (क) ४. तब (ग) को (क)
(३३०) १. हहु (का) काउ (ग) २. प्रायो (ग) ३. मांगिउ सके न रासी कोइ (क) इतनउ जे न सकहि दह मोहि (ख) मांग्या ये न समइ मोहि (ग) ४, बोलिउ ससिभाउ वीना पसाउ (ग) ५. परहबाउ (को जब जे इस कार्ड लइ उजाड (ग) ६. बडाद (स्त्र) मूल प्रतिमामिज जा सकह व मोहि
(३३१) १. कोप रूपि सु (ग) २. तुरंगम (क) लइ चलिउ (ख) ४. नवि सहो (क) ५. भानकुमार घालित प्रसारि (क) घोडा दोनउ भानु पुराडि (A) घोडे पाड्या भानुकुमार (ग)