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________________ ( ६६ } पहले मरण कुवर केहु वरी, दुजे भानु विवाहण चली । ४ नारद निसुणी हमारी बात, अब हो परी भील के हाथ ॥ ३०६ ॥ अव मोहि पंच परम गुण सरणा, लिउ सन्यास होइ किन मरणा । 3 ४ तउ नारद मन भयो संदेहु, बुरो वयरण इनि श्राखिहु एहु ॥ ३१०॥ तउ नारद जपइ तंखिरणी, केंद्रप कला करइ श्रापणी । लखण व्रतीस कायमय अंगु रूप आपसी भयो अांगु ॥ ३११ ॥ उदधिमाल सुबेरि समझाइ, फुरिण विमारा सो चलिउ सभाइ । ॥ २ चलत विमारण न लागी वार, गये बारम्बई के पइसार ||३१२॥ देखि नयरु बोलइ परदवणु, दिपड़ पदारथ मोती रय । ર્ धनुक कंचण दीसइ भरी, नारद बसइ कवण उह पुरी ॥ ३१३ || (३०६ ) १. कुबरी (क) २. अली (ग) ३. कजह (क ग) बुहत (ख) बहू (क) प्रवर (ख) इही (ग) ५. कइ ( ख ग ) (३१०) १ ले चारित फिम हो सहि मर (क) ले मासा जसु होवइ मरल (ग) सील सधात सित हुइ फिन मरण (ग) २. पडिज (कख) पड्यो (ग) ३. बोरज (क) ४. मोहि (क) (३११) १. उटि (क) २. करणचन (क) कराइड (ग) ( ३१२) १. तब ( ग ) चले विमारिण बचत मनु लाइ ( ग ) २. गये नगर द्वारिका मकार (क) गए बारमह कियय सारू ( ख ) गया वरबड़ नयर दुवार ( ग ) ( ३१३) १. घन का ( कव गं) २. ए (फ) इह (ख) ग प्रति में यह पद्म नहीं है।
SR No.090362
Book TitlePradyumna Charit
Original Sutra AuthorSadharu Kavi
AuthorChainsukhdas Nyayatirth
PublisherKesharlal Bakshi Jaipur
Publication Year
Total Pages308
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size5 MB
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