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________________ ( ६५ ) भणइ वीर यह अाफहि मोहि, जइ सइ वाट जाण द्यो तोहि । महलहु कोपि पयंपइ ताहि, अरे भिलु तोहि जुगत न आहि ।३०४। निसुणइ महल कहइ विचारु, हउ नारायण तरणउ कुमार । हखोल जिन करहु संदेहु, उदधिमाल तुमि मो कहु देहु ॥३०५|| महलउ बोलइ रे अचगले, भूठेउ बहुत कहइ अतिगले । ईतीनि खंड जो पुहमि नरेसु, तिहि के पूतहिं प्राइसु वेसु ॥३०६।। बाट छोडि तउ ऊबट चले, उहि पह भील कोडी दुइ मिले । भाइ सबारु नहि मुहि खोडि, वलु करि कन्या लइय अहोडी ।३०७। प्रद्युम्न द्वारा उदधिमाला को बल पूर्वक छीन लेना - छीनि कुम्वरि तहि लइ पराण, फुरिण सो बाहुडि चल्यउ थिम्वाण । भीलु देखि सो मनु अहि डरइ, करण कलापु कुवरि सो करइ ।३०८। (३०४) १. मुहि (क) इह (ख) पह (ग) २. भिल्लु (ग) ३. सहि मेहि (ग) ४. जेसे (क) ५. दो (क) दिउ (ख) नातरु जाणक देऊ तोहि (ग) ६. भणड (क) चपइ (स ग) ७. दुहि जुगती न पाहि (क ख) गप्रति में हरि नंदन का परमो जोह, अरे भिल्नु किउ मागहि सोई।। (३०५) १. सुरिण (ग) २. महिले (क) माहतो (ख) महिला (ग) ३. एणि वयरिंग (क) दूसर बात मत (ग) ४. तुम्हि प्रायो एहि (क) तुहि मुहि कह देह (ख) हम कह देव (ग) (३०६) १. अगले (क) महिला कोपि सु तब परजतो (ग) २. जुट्टि (क) ३. प्रागले कि ख) झूला वचन कहहि हो मिली (ग) ४ पुत्र (क) पूल कि (ख) पूतुन (ग) ५. कवा इह वेसि (क) प्राइसउ भेसु (ख) प्राइसा वेस (ग) (३०७) १. उबरे २. (ग) चलइ (क) चले (ख) चलिउ मूलप्रति में 'चलो' (ग) ३. उठि (ख) तापहि (ग) ४, इक (कम) ५. कुमर (क) सधारू (ख ग) मूल प्रति में 'सघरु' ६. हम (ग) ७. यहोडि (क ख) अजोडि (ग) (३०८) १, षो निये पराशि (क) सोज कुबर तिन्हि लई पराण (ग) २. 'चले (फ) चडिज (ख ग) ३. मरण (ख) करुण (ग) मत ए रूप कुमर ए करिउ (ग)
SR No.090362
Book TitlePradyumna Charit
Original Sutra AuthorSadharu Kavi
AuthorChainsukhdas Nyayatirth
PublisherKesharlal Bakshi Jaipur
Publication Year
Total Pages308
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size5 MB
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