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________________ ( ३३ ) विद्यावल तह रच्योउ, विमार, जहि उदोत लौपि ससि भाणु । 보 धुजा घंट घाघरि सजतु, फुरिंग विह चढयो नारायण पूत । २६३ जमस व रामहिउ जाइ, बहुत भगति करि लागइ पाइ । २ कुमरहि सरिसु खिरण तबु करइ, कंचणमाल समदि घर चलइ | २६४ । ६ १ कुवरु मयरण अरु नारदु पास, चठि विभाग उपए श्राको । 3 गिरि पव्त्रय वहुं लंघे मयरण बहुत ठाइ वंदे जिरणभवरण | २६५| उदिधिमाल दीठी ता ठाइ । 3 * ५ बहुत बरात कुवर स्यो मिलि, भानु विवाहण द्वारिका चली | २६६ | 1 फुणि वरण माझ पहुते जाइ, 4 २ नारद वात मरणस्यो कही, यह पहले तुम ही कहु वरी । 3 तुम हडि धूमकेत ले जाइ, तउ अब भानहि दीनी श्राइ ॥ २६७॥ ★ 3 * मुनि जंपर मुहि नाही खोडी, आहि सकति त लेहि अजोडि | रिषि को वयण कुमरु मरण धरइ, आपण भेस भील कछु करइ | २६८ | (२३) १. तिनि ( क ) तहि (ख) तिहि (ग) २. बलिउ ( ख ) ३. उदया (ग) ४. लोपिङ (क) लोपि ( ग ) करहि (ख) ५. धारि (क) वावती (ख) क - करणय विमा सुहिर रसजूत (ग) ६. चलि चढघो (ग) ( २१४ ) १. राजा समिझार (क) राजा समवि धरि जाइ (ख) प्राया तितु डाह (ग) २. मावरिंग करs ( क ) खिउ तब करज ( ख ) सबहि कुवर सों विमति कर (ग) ३. माता जाइ धरि (क) वलरण सिरि धरइ ( ग ) ( २६५ ) १. प्रगासि ( क ) २. उपमे (क) उप्पवे (ग) ३. परवत (कर) पचय (ख) (२६६) १. वर माहि ( क ख ग ) २. उदधिमाला रही तितु ठाइ (ग) ३. बाल (क) बारा (ख) वरसे ( ग ) ४. कुमर मन (क) कमर कह (ल ग) ५. भान (क) भानु (खग) ६. विवाह (क व ग ) मूल प्रति वरण के स्थान पर मरण (२१७) १ ऋषि (ग) २. उच्चरी (ग) ३. तो यह नारि भानु कहु व्या (ग) (२६८) १. तुम ( क ) तुम्हि (ग) २. श्रात्थि (ग) करि अजोडि ( ग ) ४. बहोड ( कल ) ५. मिलन का (ख) ग - नारद वचनहि अइसा भया, आपण भेंस भील हया ( ग )
SR No.090362
Book TitlePradyumna Charit
Original Sutra AuthorSadharu Kavi
AuthorChainsukhdas Nyayatirth
PublisherKesharlal Bakshi Jaipur
Publication Year
Total Pages308
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size5 MB
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