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________________ ( १२ ) तब मयरण मन छोड़ों कोह, मोहणी जाइ उतारयो मोह | * नागपास जब घाली छोरी, उरंग वल उठो बहोरी || २८७ ॥ २ उठी सैन मन हरिष्यो राउ, बहुत मरण को कीयो पसाउ । 3 नानारिषि वोलs तत्रिणी, वर प्रवेसि K तिहारी धरणी || २६८ ॥ सामहणी करहु | २ वयरण हमारे जउ मन धरहु, घर वेगे पवरण वेगि द्वारिका तुम जाहु, श्राज तिहारी श्राहि विवाह | २८६ | नारद बात कही तुम भली, मुही केवली कही सो मिली । २ 3 t बिस बात बोलइ परदवर हम कह बेगि पराइ कम्बर | २६०| नारद एवं प्रद्युम्न द्वारा विद्या के बल विमान रचना ર नारद खरण विभाग रचि फरइ, केंद्रप तोडइ हासी करइ । 3 ४ 보 बहुडि विम्बारण धेरैइ मुनि जोडि, खण मलयद्धउधारइ तोडि|| २६१ || २ विलख वदन भोनारद जाम करइ उपाउ मयर हसि ताम । 3 ५ मरिण माणिक मय उदउ करंतु, रचि विमारण खरण घरइ तुरंतु | २६२ ॥ ( २८७) १ तबही ( क ख ग ) २. तब (क) बन्ध (ग) ३. सुचला (ग) ( क ) सण ( ख ) मयलु (ग) तुहारी (ख) अयि तुम्ह (ग (२८८) १. उठी (क) उट्टि (स्व ग ) २. सेन ३. श्रारति ( क ) अबसेरि ( ख, ग ) ४. तुम्हारी (क) ५. सरगी ( ग ) (२८१) १. चिति ( ग ) २. घर सामहणी साम्हा चलिउ (क) घर कहू पियारणा कर (ख) घर को वेगि सातो कर (ग) ३. घर कहू बाहू (ग) ( २० ) १. मुणिवर ( क ) २. पूछइ ( क ) ३. परगाव ( ग ) पराइ (ख) (२१) १. रिषि (ग) २. रिषि ( क ) ३. करड (क) रिषि धरम सु जोडि (ग) ४. करि (ग) ५. क्षरण (ग) ६, मगर ( क ख ) ६. महराबा ( ग ) ७ घालह ( क व व ) मूल प्रति में मुनि के स्थान पर 'मन' शब्द है । (२६२) १. होइ (क) हुज (ख) २. मइरघउ (क) मया विशि ३. मरउ (क) ४. बहू (स्व) का (ग) ५. वरण (ख) बिगि ( ग )
SR No.090362
Book TitlePradyumna Charit
Original Sutra AuthorSadharu Kavi
AuthorChainsukhdas Nyayatirth
PublisherKesharlal Bakshi Jaipur
Publication Year
Total Pages308
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size5 MB
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