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________________ तव परदमण रिसानो जाम, नागपासि मुकलाइ ताम । सो दलु नागपासि दिठु गाउ, राउ अकेलउ ठाढउ बाउ ॥२८२।। भणइ मयण एसो करइ, जमसंवर सबु दल संघरइ । इम भयरद्धउ कहउ सुभाय, तउ नानारिष गयउ तिह ठाइ ।२८३। नारद का श्रागमन एवं युद्ध की समाप्ति भरणइ मयणु रहायो मयणु, बापहि पूतहि गाउ कमरणु । जिहिप्रतिपालिउ कियउतु राउ, तिहिकउ किमि भानइभरिभाउ २८४ नारद बात कहै समुझाइ, दू दल विगाह धरइ रहाइ । कालसंवर तो हो इन जूत, यह परदवंण नरायण पूत ॥२८५॥ निसुणि वयण मन उपनौ भाउ, भरि आयौ सिर उमइ राउ । इतडो परि पछितावो भय उ, चउरंग दल संघरि लयउ १२८६॥ (२८२) १. सो (ग) २. छोड तित्तु ठाम (ग) ३. बुद्ध (क) ४. रहो (क) रहिउ (ख ग) (२८३) क ख प्रतियों में निम्न पाठ है । नराइ भयरण एसो करड, जमर्सबर स दल संघर। इम मयरबार कहा सुभाय, तज नानारिष गयउ तिह ठाइ २६२॥ म पति भएई मपन हो इसज कराउ, इव भागउ इसका भडिवाउ । नानारिषि आया तिह द्वाइ, कही बात लि आंव साइ ॥२७३।। (२८४) १. तउ रिपि जाइ रहायउ मयण (क ख) बोला रिषि तू सुरण पर दवा (ग) २. विग्रह (क ख ग) ३. अंतराव (क) न तह राउ (ग) ४. तिनका (क) तिस का (ग) ५, सिंषु (क) किंउ (ग) (२८५) १. दुध (कास) बुह (ग) २. विघ्न (क) विपहङ (ग) विगाह (ख) ३. हइ धराइ (क) घराई (ग) ४. तोहि (क) तुहि (ख) तुम्ह (ग) ५.-निरुत (क) जुत्त (ख) ६. तुम्हारउ (ग) (२८६) १. मपरण (क) वमन (ग) २. प्राइ (क) प्रासड (ख) ग्रहि अंफि (ग) ३. धुमा (क) चूह (ख) चूची (ग) ४. लडिया (क) तानि व मारिस (ख) इतना (ग) ५. गयउ (क, ख) सह संघारिया (ग)
SR No.090362
Book TitlePradyumna Charit
Original Sutra AuthorSadharu Kavi
AuthorChainsukhdas Nyayatirth
PublisherKesharlal Bakshi Jaipur
Publication Year
Total Pages308
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size5 MB
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