________________
गाया
दग्घति गुणा विचलंति वल्लहा, सज्जनाहि विहति । विवसाय रणाथि सिद्धी पुरिसस्स परंमुहादिम्बहा ॥
चौपई
छुटउ कमणु काल की वहिण, फुणि ते बहुडी करी सामहण । चउरंगु वलु सवु समहाइ, करउ अभेडउ दुइजो जाइ ॥२७॥
यमसंबर एवं प्रद्युम्न के मध्य पुनः युद्ध बहुत रोस मन नरवइ भयउ, चाउ चढाइ हाथ करि नयउ ! लयउ धनषु टंकारिउ जाम, गिरि पवय जागी डोले ताम १२०० दोउ वीर प्राइ ररग भिडे, देखइ अमर विवाणहि चढे। वरसहि वारण सरे असराल, जागो धरा गाजइ मेघ अकाल ।२८।।
2
गाभा १. न संति (ख) निसंति (ग) २. विद्या (ग) ३. सजणा (क) | सज्जनाय (ख) सपण सज्जन (ग) ४. विधति (1) ५. सजन पासु नुयण भया, जे मथिह कम्म चलंति (ग)
(२७८) १. कवरण (क ख) २. संमहण (क) समहाण (ख) ३. करा शुभ तब बाबुद्धि भावि (क)
ग-काल संवह मनि भया उदासु, छोड्या करणयमास का पासु । दल बरंगु सह लीया वुलाइ, फरद झूझ बाहुडि सो आइ ॥
(२८०) १. दोसु (ख) २. चक्र (क) बाशु (ग) ३. तिहि लीया (ख) ले (ग) ५. घुरात (ग) ६. टंकारा (ग) ७. पयास भन कंपद ताम (ग)
क—धनुष टंकार करई ते जाम, तब गिर परवत कालइ ताम
(२८१) १. दोनड (ग) २. गजहि (ग) ग प्रति में दो चरण निम्न रूप में अधिक है
होऊ धीर खेर सपराण, दूरणे वणे करि संधारण