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________________ ( 5 ) उणि नयरि सो बूचइ ठाउ, पुवह हुतौ विवयह राउ । तिरिय विसास करइ जो घणउ, जिहि जीउ सोप्यो राजा तरण उ।२६६॥ दुइजे राउ जसोधर भयउ, अमइ महादे सोखइ लयउ । विस लाडू दइ मारचो राउ, फुरिण कुवडउ रम्यो करि भाउ ।२७०।। फुणि तीजे णिमुरणह धरि भाउ, आथि नयरु पाटण पयठाणु । हया सेठि निमसइ तिहि काल, तीनि नारि ताको सुहिनाल ।२७१।। सोतउ सेटि अति उति गराउ, जोर जुधि लिहि काहल कीयउ।। छाडी हया सेठी की काणि, भूतु एक सिर थापिउ प्राणि ।।२७२॥ अदिरिण छोडि नाहु सुपियारु, धूतु प्राणि ता कीयउ भतारु । तिहि साहस कउ अंत न लहउ, सिहि चरितु हउ केतउ कहउ।२७३। । (२६६) १. अणि (ख) २. नयरो (ख) नयर (ग) ३. जो द्वाज (क) ऊचह (ख) असिख (ग) ४. पुरष गया सो ठाउ (क) पुष्य तु बियर कसुराज (ख) तिस पुर मंच विकाराउ (ग) ५. विशास (क) विस्वास (ग) ६. किया तिह घरणा (ग) ७. त्रिय (क) प्रापगड (क) (तीसरा चरण ख प्रसि में नहीं है)। से हिति जिज प्रारण राजा तराउ (ख) राजह सउप्पा जीव प्रापणा (ग) (२७०) १. राज (क) २. गयउ (क) ३. प्रमइ महादेवि सो लिउ (क) प्रमय महावे सो घर गयउ (ख) प्रदत-मती तिय लागोया (ग) ४, मारित (क ) । मारा (ग) ५. कुवडा ते (क) ६. रमिउ (क ख) रम्याइ (ग) ७. घरि (ख ग) | (२७१) १. तेउ (क) तीष (ख) विजमाहरु तब वोलइ राउ (ग) २. अस्थि (क ग) ३. पहरणपुर (ग) ४. छाउ (क ग) ठाउ (ख) ५. घराबाह (क) हाया (स) । हवा (ग) ६. वसइ (क) ७. तिहके (क)। तिस को (ग) (२७२) १. सोवतज (क) सो तहि (ख ग) २. बगनहि (ग) ३. प्रेम सुबध तिहि अइसा कीया (ग) ४. छावा (क) छोडी (ग) ५. तेह (क) हाया (ख) तणी (ग) ६. सव (ग) ७. वारिश (क) ८. धरि (क ख) तिन राखा प्राणि (ग) . (२७३) १. पश्मिराउ (क) ररिग (ख) २. छाडि (ख) ३. नारि (क) ४. तिह (क) तिन ( ५. भतारु (ख) प्रथम-द्वितीय चरण य प्रति में नहीं है। ६. हह (क) तिसका (ग) ७. को (क) अंतु न कोई लहइ (ग) ८. त्रिय (क) त्रिया (ख) तिया (ग) 8. फितना ले (ग) फेता कहोड (ग)
SR No.090362
Book TitlePradyumna Charit
Original Sutra AuthorSadharu Kavi
AuthorChainsukhdas Nyayatirth
PublisherKesharlal Bakshi Jaipur
Publication Year
Total Pages308
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size5 MB
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