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________________ जमसंबर और प्रद्य म्न के मध्य युद्ध निसुणिवयण मन कोपिउ राउ, प्राजु मयरण भानो भरिवाउ । । रहिवर साजे गैवर गुडे, तुरिय पलारणे पाखर परे ॥२५॥ धनुक पाइक अरु छुरीकार, अतिवल चलत न लागी बार | । पावत देखि मयण कह कर, सैनाकरि सयन रची धरै ।।२६०॥ जाइ पहुतउ दल प्रतिवंत, नहा हाकि भीडइ मयमंत । रावत स्यौ रावत रण भिरइ, पाइक स्यो पाइक पा भिडइ ।।२६१॥ जमसंवर कहु पाइ हारि, चउरंगु दलु घालिउ मारि । विजाहरु रा विलवउ भयो, रहवर मोडि नयर मह गयउ ।।२६२॥ (२५८) १. कोप्यो (क] कोप्या (ग) २. भानउ (ख) भागउ (ग) ३. भडिवाउ (ख ग) ४. रहहिवार (ग) ५. गुरङ्ग (क) गुरुहि (ग) ६.तुरी (क ग) ७. पहि (क ग) (२६०) १. पायक (फ ख) धानुप (ग) २. कगाह (ग) ३, अविचल (क) ४. लाइ वार (क) सभि हथियार सूभट ले जाहि (ग) ५. मवमु (ख) ६. पया (ख) के (क) ७. निहरस्थो (ग) ८. करइ (क) नाम (ग) १. सेमा रचि साम्हर संचर (क) सपना कहब सपनु रचि घरह (ख) माया रुप मयनु रथि ताम (ग (२६१) १. पहूता (क) पहूते (ख) २. बलवंत (क} मिलि मायो सु जबहि अनन्तु (ग प्रति) ३. वेगह प्राइ (क) तहं तहं कि मिरे भयमंत (ख) तब रथ हकि भिड्या मयमंतु ४. रबर सिह रहवर ! ख ग) रहबर सो रहवर (क) ५. टूटइ खङग पराभुई ताम (क) रहि तुड मुड पर जाम (ख) दहि र मुग वह ताम (ग) (२६२) १ को (क) २. घाबह (क) ३. पनु (ख) ४. घस्लिउ (ख) धाल्या सहि (ग) ५. राउ (क) सब (ग) ६. विलखा (ग) ७. मयण कुवर सह गल मारिया (ग)
SR No.090362
Book TitlePradyumna Charit
Original Sutra AuthorSadharu Kavi
AuthorChainsukhdas Nyayatirth
PublisherKesharlal Bakshi Jaipur
Publication Year
Total Pages308
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size5 MB
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