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________________ 3 तव कुवर मन पूरंउ दाउ, बहिकहु भयउ विरुद्धउ राउ । मिलि सब कुवर एकठा भए, मयण बुलाइ कुवर वण गए ॥२५॥ तवइ अलोकरिण विद्या कह्यउ मयण अचंकित काहे भयउ । एह बात हो कही सभाइ, ए सव मारण पठए राय ।।२३५॥ तव रिसालो साहस धीर, नागपासि घाल्यो वरवीर ।। चारि सौ नानाणी पाकउ भरइ, बाधि घालि सिला सिर धरइ २५६ एकु कुम्बर राखिउ कमार, राजा जाइ जरणाइ सार । तुहि जउ राय भरोसउ पाहि, दणु परिगह प्राणइ पलणाइ ॥२५७॥ जमसंदर रा बइठउ जहा, भागिउ कुवर पुकारिउ तहा । सयल कुम्वर वापी मह घालि, उपर दोनो बज्र सिल टाल ॥२५॥ (२५४) १. तर (क) तिय (ग) २. कुमरे (क) कुमरनि (ख) कुवर (ग), ३. पूगड (ग) ४. सु को (ग) मार ममरण मब पूजइ बाउ (क) मारहि मयरस (स) ५. सहि (ग) ६. बुलावह (ग) ७. कमल (क ख) (२५५) १. पालोकरिण (क ग) २. कहइ (क) कहिउ (ख) कहै (ग) ३. मरिण कारते ढोलज कहइ (क) संभलु मयण कुबरु मति कहा (ग) निचितउ (ख) ५. सुभाउ (क) सभाउ (ख) ६. तुझ (क) ७. पठयो (क) (२५६) १. तहि (क, ग) तउ (ख) २. चमकियो (क) विहसाउ (ख) रोसाणा (ग) ३. सहस सधीरु (ग) ४. धारिसह निनाणे (क) चारि निनाणे (ख) चउसइ नंग्याए (ग) ५. प्रागइ घरई (क) को भरा (स) को भरउ (ग) | ६. वापि (ग) ७ सहा (क) ८. तलि (क) (५७) १. तिन लिया उबारि (ग) २. राहि (क ) इ. जणावहि (ख) । ४. सुहि सई (8) जे तुझ (ग) ५. दलु {क रू) बल (ग) ६. परियप (क) ७. सब ! खेह (क) प्रारराहि (ख) बेगा (ग) ८. पलाइ (क) ले जाइ (ग) (२५८) १. बहठाहइ (ग) २. सो जड (क) ३. पहसा (ग) ४. महि (कग) मुहि (8) ५. राल (ग) ६. बोधो (क) ७. शिला माल (क) शिला टास (ख) हताल (ग)
SR No.090362
Book TitlePradyumna Charit
Original Sutra AuthorSadharu Kavi
AuthorChainsukhdas Nyayatirth
PublisherKesharlal Bakshi Jaipur
Publication Year
Total Pages308
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size5 MB
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